वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि भ्रष्टाचार का खात्मा किए बिना समावेशी विकास का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्वीकार किया कि ऊंची आर्थिक वृद्धि दर का लाभ देश की आबादी के बडे हिस्से तक नहीं पहुंच पाया है।
शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में उद्योग संगठन सीआईआई के राष्ट्रीय सम्मेलन व वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा, ‘‘प्रशासन की विफलता और तंत्र में भ्रष्टाचार से गरीब तबका प्रभावित होता है। इन मुद्दों से निपटे बिना समावेशी विकास का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता।’’ उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों तक नहीं पहुंच रहा है और संपूर्ण विकास के लिए तंत्र की खामियों को दूर करने की जरूरत है।
मुखर्जी ने कहा, ‘‘यह प्रमाण है कि बढ़ती समृद्धि का लाभ हमारे सभी नागरिकों तक समान रूप से नहीं पहुंच रहा है। हमारे विकास के प्रयासों और प्रशासन व्यवस्था में खामियां हैं।’’ उन्होंने कहा कि समावेशी विकास की धारणा को महज गरीबी मिटाने पर सीमित रखने के बजाय काफी व्यापक बनाना होगा। इसमें आजादी व गरिमा के साथ उत्पादक और सार्थक जीवन के लिए समान अवसर की उपलब्धता को शामिल किया जाना चाहिए।
वित्त मंत्री ने समावेशी विकास के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयासों का जिक्र करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, सर्व शिक्षा अभियान और भारत जैसे कार्यक्रमों के बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वी राज्यों में हरित क्रांति को पहुंचाने की कोशिशों से इन इलाकों में समावेशी विकास हासिल करने में मदद मिलती है।