धानुका एग्रीटेक कृषि रसायनों के अलावा उर्वरक व बीज भी बनाती है। तीन दशक पुरानी कंपनी है। इसके शेयर सिर्फ बीएसई (कोड – 507717) में ही लिस्टेड हैं। पिछले वित्त वर्ष के आखिरी दिन 31 मार्च 2011 को इसने 50.20 रुपए पर अपनी तलहटी पकड़ी थी। कल 28 मार्च 2011 को यह एकबारगी 6.73 फीसदी बढ़कर 73.70 रुपए पर बंद हुआ है, वो भी 2.31 लाख शेयरों के अच्छे-खासे वोल्यूम के साथ जिसमें से 88.58 फीसदी शेयर डिलीवरी के लिए थे। इस भाव पर उसका शेयर अभी 7.57 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि शेयर के भाव व बुक वैल्यू का अनुपात 2.79 है।
इंडिया इनफोलाइन के आंकड़ों के अनुसार धानुका एग्रीटेक का इक्विटी पर रिटर्न (RoE) 43.9 फीसदी और नियोजित पूंजी पर रिटर्न (RoCE) 40.2 फीसदी है। इसे काफी आकर्षक माना जाएगा। कल ही कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी सीएफओ वी के बंसल ने बताया है कि कंपनी एक बीज की फर्म का अधिग्रहण करने जा रही है। साथ ही उसके साणंद संयत्र में नई उत्पादन सुविधा मार्च 2012 तक शुरू हो जाएगी। इस विस्तार पर कंपनी 35-40 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। कंपनी के पास इस समय साणंद सहित कुल चार कृषि रसायन संयंत्र हैं। बाकी तीन संयंत्र गुडगांव व सोहना (हरियाणा) और ऊधमपुर (जम्मू-कश्मीर) में हैं।
नयी इकाई के चालू होने के बाद कंपनी ने अगले तीन साल में अपना कारोबार दोगुना करके 1000 करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य बनाया है। चालू वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी अभी तक 500 करोड़ रुपए का कारोबार हासिल कर चुकी है। इसकी औपचारिक घोषणा उसने इसी महीने 10 मार्च को की थी। पिछले वित्त वर्ष 2009-10 में उसका कारोबार 407.53 करोड़ रुपए था, जिस पर उसने 36.34 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। दिसंबर 2010 की तिमाही में उसने 113.11 करोड़ के कारोबार पर 12.42 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया है। इस दौरान साल भर पहले की तुलना में उसका कारोबार 19.5 फीसदी और शुद्ध लाभ 46.29 फीसदी बढ़ा है।
कंपनी के सीएफओ बंसल के मुताबिक कंपनी अगले वित्त वर्ष में अपना ध्यान डीलर नेटवर्क बढ़ाने और किसानों में कृषि रसायन के इस्तेमाल व इसके प्रति जागरूकता बढाने के अभियान पर ध्यान देगी। फिलहाल कंपनी के पास 6500 डीलर और करीब 60,000 रिटेलर हैं। उसका दावा है कि उसके उत्पाद देश के एक करोड़ किसानों तक पहुंचते हैं। कंपनी कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत गुडगांव, जालंधर व भोपाल के नजदीक किसानों को शिक्षित-प्रशिक्षित करने के लिए ‘धानुका चौपाल’ भी चला रही है। इसके अलावा कंपनी ने गुडगांव में मिट्टी परीक्षण की एक प्रयोगशाला भी बना रखी है।
जाहिर-सी बात है कि देश में कृषि भूमि की उपलब्धता सीमित है। इसलिए फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि रसायनों की दरकार होगी ही होगी। इसलिए धानुका एग्रीटेक जैसी जिन कंपनियों ने इस क्षेत्र में अपना धंधा जमा रखा है, उनका भविष्य उज्ज्वल ही होना है। हालांकि एक बात नोट करने की है कि कंपनी की 10 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 74.99 फीसदी है। हो सकता है कि कंपनी के प्रवर्तक अपनी हिस्सेदारी इस सीमा से नीचे लाने की कोशिश में हों। इसलिए शेयरों को खास हवा दी जा रही है। खैर जो भी, इस शेयर में हाल-फिलहाल बढ़ने की अच्छी गुंजाइश है।
यह शेयर ऊपर में 103.38 रुपए (24 अगस्त 2010 तक जा चुका है। हालांकि उस दिन का वास्तविक भाव 516.80 रुपए का था। लेकिन सही तुलना के लिए हम यहां उसे पांच से भाग देकर लिख रहे हैं क्योंकि कंपनी का 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर 4 सितंबर 2010 से 2 रुपए अंकित मूल्य के पांच शेयरों में बांट दिया गया है। कंपनी की इक्विटी में एफआईआई की मौजूदा हिस्सेदारी 8.25 फीसदी है। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 4449 है। रेलिगेयर फिनवेस्ट ने उसके 8,11,500 शेयर (1.62 फीसदी इक्विटी) खरीद रखे हैं।