शेयर बाजार में जबरदस्त चर्चा है कि आईएफसीआई को दो दिन के भीतर रिजर्व बैंक से बैंक बनाने का लाइसेंस मिलनेवाला है और अगले हफ्ते बाकायदा इसकी घोषणा हो जाएगी। इस चक्कर में सटोरिये बड़े पैमाने पर आईएफसीआई की खरीद में जुट गए हैं। मामला कितना सच है कितनी अफवाह, इस बारे में रिजर्व बैंक की तरफ से कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन इन अटकलों के बीच हो यह रहा है कि आईएफसीआई में नई चाल आ गई है। गुरुवार को यह बीएसई में 53.25 रुपए पर बंद हुआ था। शुक्रवार को खुला ही 54 रुपए पर और ऊपर में 54.30 तक चला गया। सवा बारह बजे खबर लिखे जाने तक इसमें एनएसई में तीन लाख शेयरों के सौदे हो चुके थे। शेयर ने 6 सितंबर 2009 को 61.15 रुपए पर अपना उच्चतम स्तर और 9 अप्रैल 2009 यानी आज से ठीक साल भर पहले 22.50 रुपए की तलहटी छुई थी।
आईएफसीआई उन सरकारी डेवलपमेंटल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस (डीएफआई) में शामिल है, जो अभी तक बैंक नहीं बन पाया है। एक समय इसी के साथ के आईसीआईसीआई और आईडीबीआई अब अच्छे-खासे बैंक बन चुके हैं। बहुत सारी वजहों से आईएफसीआई लगातार दबा-दबा चल रहा है। इसमें इसकी रीस्ट्रक्चरिंग का भी मसला रहा है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि यह भी किसी दिन आईसीआईसीआई और आईडीबीआई बैंक की तरफ चमकेगा।
आईएफसीआई ने दिसंबर 2009 की तिमाही में 385.07 करोड़ रुपए की आय पर 136.35 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था और उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 122.32 फीसदी और शुद्ध लाभ मार्जिन (एनपीएम) 35.41 फीसदी था। वित्त वर्ष 2008-09 में कंपनी की आय 1402.07 करोड़ रुपए, शुद्ध लाभ 657.15 करोड़, ओपीएम 128.94 फीसदी और एनपीएम 46.87 फीसदी था। वित्त वर्ष 2009-10 के सालाना नतीजे अच्छे रहने के अनुमान है। और, बैंकिग लाइसेंस मिल गया तो यह शेयर छप्पर फाड़कर बाहर निकल सकता है। लेकिन ध्यान दें कि यह अभी तक खबर नहीं है, महज अटकल है। इसलिए जोखिम उठाने का दम और हौसला हो, तभी इसमें हाथ डालें। वैसे, यह लंबे निवेश के लिए भी माफिक और सुरक्षित शेयर है।