मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा के पेश होने में अब बस एकाध दिन का समय बचा है और बाजार में भयंकर ऊहापोह है कि इस बार क्या होनेवाला है। इसका संकेत इस बात से मिलता है कि बाजार के बेंचमार्क दस साल की परिपक्वता वाले सरकारी बांडों का भाव बुधवार को एक समय गिरकर 91.37 रुपए (अंकित मूल्य 100 रुपए) और यील्ड की दर बढक़र 7.60 फीसदी पर चली गई, जबकि सोमवार को इन बांडों का बंद भाव 91.51 रुपए और यील्ड की दर 7.58 फीसदी थी। इसके बाद यील्ड में गिरावट और भाव में बढ़ोतरी हो गई और बंद भाव 91.71 रुपए व यील्ड 7.55 फीसदी दर्ज की गई।
इस तरह 6.35 फीसदी ब्याज के साल 2020 में परिपक्व होनेवाले सरकारी बांडों के भाव का बढ़ जाना और यील्ड का घट जाना दिखाता है कि बाजार साफ राय नहीं बना पा रहा है कि रिजर्व बैंक 29 जनवरी को घोषित की जानेवाली मौद्रिक नीति में ब्याज दरें बढ़ाने का संकेत देगा या नहीं। सोमवार तक धारणा यह थी कि ब्याज दरें बढ़ सकती हैं और यही वजह है कि यील्ड की दर में बढ़त और बांड के मूल्य में गिरावट दर्ज की गई थी। बुधवार को यील्ड की बंद दर 7.55 फीसदी नवंबर अंत के स्तर से 0.29 फीसदी (29 आधार अंक) ज्यादा है। बता दें कि चालू माह में दस साल के बांडों पर यील्ड की दर 15 महीनों के शिखर 7.81 फीसदी तक जा चुकी है।
वैसे, समाचार एजेंसी रायटर्स के एक सर्वे के मुताबिक 25 में 24 अर्थशास्त्री मानते हैं कि रिजर्व बैंक अपने पास रखे जानेवाली बैंकों की जमा के अनुपात यानी सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) को 5 फीसदी के मौजूदा स्तर से 0.50 फीसदी बढ़ाकर 5.5 फीसदी कर सकता है। इन 25 में से 8 अर्थशास्त्रियों की राय में यह भी हो सकता है कि रेपो और रिवर्स रेपो की दर को चौथाई फीसदी बढ़ाकर क्रमश: 5.0 और 3.5 फीसदी कर दिया जाए। लेकिन बाकी 17 अर्थशास्त्रियों के मुताबिक रिजर्व बैंक ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे ब्याज दरें बढऩे का संकेत बाजार में जाए क्योंकि फिलहाल वह आर्थिक सुधार को गति देने के लिए बैंकों के कर्ज प्रवाह में बढ़ोतरी चाहता है।
अगर रेपो (बैंकों को दिए जानेवाले अल्पकालिक उधार की ब्याज दर) और रिवर्स रेपो (बैंकों द्वारा जमा की गई अल्पकालिक रकम पर दी जानेवाली ब्याज) दरें बढ़ती हैं तो यह सरकार के दबाव में मुद्रास्फीति को रोकने का बहाना भर होगा। लेकिन एक सरकारी बैंक के ट्रेजरी विभाग के अधिकारी ने अपना नाम न जाहिर करते हुए अनुमान जताया कि रिजर्व बैंक ऐसा न करके बैंक दर में आधा फीसदी वृद्धि की घोषणा कर सकता है। बैंक दर का मौजूदा स्तर 6 फीसदी है और करीब एक दशक से इसे बदला नहीं गया है। बैंक दर वाणिज्यिक बैंकों को दिए जानेवाले दीर्घकालिक रीफाइनेंस पर ब्याज दर की संकेतक है।