प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दावा किया है कि सरकार ने आर्थिक नीतियों में सुधार का रास्ता नहीं छोड़ा है और 2011-12 के बजट में और सुधारों की घोषणा की जाएगी। हालांकि उन्होंने महत्वपूर्ण विधेयकों को संसद में पेश किए जाने में देरी के लिये विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया।
प्रधानमंत्री ने इलेक्ट्रानिक मीडिया के संपादकों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘नहीं, हमने सुधार नहीं छोड़ा है। मुझे उम्मीद है कि आगामी बजट में हम सुधार एजेंडे की स्पष्ट तस्वीर देखेंगे।’’ माल व सेवा कर (जीएसटी) पर संविधान संशोधन विधेयक पेश किए जाने में देरी के लिए विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘संसद को नहीं चलने दिया जाता, विपक्षी दल जीएसटी पर महत्वपूर्ण सुधार के बारे में सहयोग करने की इच्छा नहीं रखते। यह ऐसा सुधार है जिसकी जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि विपक्षी दल विशेषकर भाजपा ने विरोध का रूख अख्तियार किया हुआ है। मनमोहन ने दोहराया कि सरकार कई सुधार कार्यक्रमों पर काम कर रही है। इसमें कई सफल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार आर्थिक विकास को प्रभावित किए बिना मुद्रास्फीति से निपटने की कोशिश कर रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि मुद्रास्फीति मार्च तक 7 फीसदी के स्तर पर आ जाएगी और चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 8. 5 फीसदी रहेगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि वैश्विक गतिविधियों का असर महंगाई दर पर पड़ रहा है। सरकार का इन पर कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन इसके बावजूद हम आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि जनवरी के अंतिम सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 13.07 फीसदी पर आने से पहले यह पिछले कुछ महीने से 15 फीसदी के आसपास बनी हुई थी। मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार मुद्रास्फीति से निपटने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन, ‘‘हमारा अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर कोई नियंत्रण नहीं है। तेल की कीमतें बढ़ रहीं हैं, खाद्य वस्तुओं की कीमत भी बढ़ रही है।’’
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि उन्हें पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा की 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए पहले आओ, पहले पाओ की विवादास्पद नीति के क्रियान्वयन के तौर-तरीकों बारे में जानकारी नहीं थी। उनका कहना था, ‘‘किसे लाइसेंस मिला..पहले आओ, पहले पाओ नीति का कैसे क्रियान्वयन किया गया, इस बारे में मेरे साथ कभी चर्चा नहीं हुई और न ही इसे मंत्रिमंडल के समक्ष लाया गया। यह पूरी तरह दूरसंचार मंत्री का फैसला था।’’
बहरहाल, उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि वित्त और दूरसंचार मंत्री 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन की मौजूदा नीति को जारी रखने पर सहमत थे, ऐसे में मुझे नहीं लगा कि मैं नीलामी पर जोर देने की स्थिति में हूं।’’ उल्लेखनीय है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने स्पेक्ट्रम आवंटन की गलत नीति के कारण सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान जताया है।
प्रधानमंत्री ने इस बात से साफ इनकार किया कि एंट्रिक्स के साथ एस-बैंड स्पेक्ट्रम लीज पर दिए जाने के बारे में हुए विवादास्पद सौदे पर उनके कार्यालय ने देवास मल्टीमीडिया के साथ बातचीत जारी रखी। उन्होंने कहा, ‘‘परदे के पीछे कोई बात नहीं हुई .. अंतरिक्ष आयोग द्वारा जुलाई 2010 में लिए गए फैसले को हल्का करने का पीएमओ में कोई प्रयास नहीं हुआ। इस बारे में मैं आपको और देश को आश्वस्त करना चाहूंगा।’’ उन्होंने कहा कि यदि सौदे को निरस्त करने में विलंब हुआ है तो केवल प्रक्रियागत विलंब हुआ।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वीकार किया कि गठबंधन सरकार चलाने के लिए ‘कुछ समझौते’ करने पड़ते हैं। लेकिन सरकार घोटालेबाजों को कतई नहीं बख्शेगी। उन्होंने कहा कि न तो उसकी सरकार असमर्थ है और न ही वे अयोग्य या कमजोर प्रधानमंत्री हैं। मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की संभावना से साफ इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने फिर संकेत दिया है कि वे 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के बारे में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) या किसी भी समिति के सामने पेश होने को तैयार हैं।
इस पर बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी का कहना था, ‘‘प्रधानमंत्री ने आज संकेत दिए हैं कि वे जेपीसी के सामने भी पेश होने को तैयार हैं। अगर जेपीसी पर सरकार पहले ही राजी हो जाती तो संसद का शीतकालीन सत्र बर्बाद नहीं होता। सवाल है कि प्रधानमंत्री अब तक जेपीसी के लिए राजी क्यों नहीं हुए। देश जानना चाहता है कि इस देश में प्रधानमंत्री से अधिक शक्तिशाली कौन है जो उन्हें पहले इस मांग पर राजी होने से रोके हुए था।’’