रिजर्व बैक का कहना है कि वो डॉलर-रुपए की विनिमय दर के बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव या वोलैटिलिटी को रोकने के लिए ही बाज़ार में हस्तक्षेप करता है। लेकिन हकीकत यह है कि रुपए को गिरने से बचाने के लिए रिजर्व बैंक इस साल जनवरी से अक्टूबर तक बाज़ार में शुद्ध रूप से 31.98 अरब डॉलर बेच चुका है। साल 2024 की इसी अवधि में उसने बेचने के बजाय बाज़ार से शुद्ध रूप से 23.03 अरब डॉलर खरीदे थे। फिर भी इस साल के उक्त दस महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपया 3.3% कमज़ोर हुआ है, जबकि पिछले साल वो 2.2% ही गिरा था। अक्टूबर के बाद भी रिजर्व बैंक बराबर डॉलर की स्पॉट और फॉरवर्ड बिक्री कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक जून से दिसंबर 2025 तक उसने स्पॉट बाज़ार में 30-35 अरब डॉलर और फॉरवर्ड बाज़ार में करीब 30 अरब डॉलर डाले हैं। फिर भी हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 19 दिसंबर को खत्म सप्ताह में 4.368 अरब डॉलर बढ़कर 693.318 अरब डॉलर हो गया तो इसकी प्रमुख वजह भंडार में सोने की होल्डिंग का मूल्य बढ़ जाना है। जानकार बताते हैं कि डॉलर के मुकाबले रुपए को गिरने से बचाना दरअसल अमीरों व विदेशी ऋण लेनेवाली कंपनियों को बचाता है। लेकिन ऐसा बहुत समय तक नहीं हो पाएगा और रिजर्व बैंक के दखल के बावजूद पांच-छह महीने में डॉलर 100 रुपए का हो सकता है। अब बुधवार की बुद्धि…
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