बाज़ार में रिजर्व बैंक के डॉलर झोंकने के बावजूद रुपया फिर कमज़ोर होने लगा है। रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप रुपए को मजबूत करने का कारगर उपाय नहीं है। वो कुछ समय के लिए गिरने की रफ्तार को थोड़ा थाम सकता है, लेकिन उसकी धार को नहीं रोक सकता। कुछ महीने पहले जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस बाबत पूछा गया तो उनका जवाब था: रुपया कमज़ोर नहीं हो रहा, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है। उनका यह बयान कितना झूठा था, इसका सबूत है कि इस साल डॉलर दुनिया की तमाम मुद्राओं के मुकाबले कमज़ोर हुआ है, केवल भारत को छोड़कर। गूगल फाइनेंस के मुताबिक डॉलर इस साल चीन की मुद्रा युआन के मुकाबले 3.8%, जापानी येन के मुकाबल 0.4%, ब्रिटिश पौंड के मुकाबले 6.6%, ब्राज़ीली रियाल के मुकाबले 10% और यूरोप की मुद्रा यूरो के मुकाबले 11.5% कमज़ोर हुआ है, जबकि हमारे रुपए के मुकाबले 5.8% महंगा हुआ है। क्यों? कमाल है कि सीता का रमण करनेवाली हमारी वित्त मंत्री झूठ बोलती हैं और उनकी पार्टी की छत्रछाया में वॉट्स-अप यूनिवर्सिटी के ज्ञान पर फलते-फूलते भक्त इसके पीछे विदेशी साजिश बताते हैं। कहते हैं कि दुनिया भारत की प्रगति से जलती है। इसलिए विदेशी निवेशक डॉलर निकाल रहे हैं तो रुपया कमज़ोर होता जा रहा है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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