सरकार को तनिक भी शर्म नहीं कि वो देश का डेमोग्राफिक डिविडेंड कहे जानेवाली युवा शक्ति को संभाल नहीं पा रही, उन्हें ढंग का रोज़गार नहीं दे पा रही। नहीं तो इतनी आसानी व मक्कारी से 12 करोड़ गरीब परिवारों से रोज़गार का हक छीनकर उन्हें निरीह याचक नहीं बना देती। उसे फर्क नहीं पड़ता कि देश में 15 से 29 साल के युवाओं में बेरोज़गारी की दर साल-दर-साल लगातार दहाई अंकों में बनी हुई है। यह दर वित्त वर्ष 2020-21 में 12.9%, 2021-22 में 12.4%, 2022-23 में 10.0% और 2024-25 में 15.3% रही है। शहरी इलाकों में इस उम्र की 18.8% युवा-शक्ति हाथ पर हाथ धरे डग्गेमारी कर रही है। फिर भी कमाल है कि सरकार की तरफ से 15 दिसंबर को जारी ताजा सावधिक श्रम शक्ति सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के मुताबिक देश में 15 साल से ऊपर के लोगों में बेरोज़गारी की दर नवंबर में घटकर 4.7% पर आ गई है। यह दर अक्टूबर में 5.2% हुआ करती थी। समझ में नहीं आता कि इस आंकड़े पर खुश हुआ जाए, हंसा जाए या रोया जाए क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी का चाक-चौबंद डेटा रखने वाले देश अमेरिका में बेरोज़गारी की दर नवंबर में 4.6% रही है जो चार सालों का सर्वोच्च स्तर है, फिर भी लगभग भारत के समान है! अब बुधवार की बुद्धि…
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