ट्रम्प की टैरिफ यंत्रणा से तिरुपति के टेक्सटाइल, आंध्र प्रदेश व ओडिशा के श्रिम्प व्यापार, सूरत के हीरा कारोबार, कानपुर के चमड़ा व भदोही के कालीन उद्योग और उत्तर, दक्षिण व पूरब-पश्चिम तक फैले कृषि निर्यातकों को गहरा सदमा लगेगा। लेकिन सनफार्मा, डॉ. रेड्डीज़ या फाइज़र जैसी दवा कंपनियों पर कोई फर्क पड़ेगा। साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के पेट्रोलियम उत्पाद और एप्पल के आईफोन भी पहले की तरह बेफिक्र अमेरिका पहुंचते रहेंगे। सरकार चीन, रूस, जापान, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ व अफ्रीका के भरोसे देश के निर्यातकों को बचाने का दम भर रही है। लेकिन कितनी भयंकर बात है कि जिस टेक्सटाइल आयात पर अमेरिका ने 59% टैरिफ लगा दिया है, उसी उद्योग की मांग के नाम पर हमारी सरकार ने अमेरिका से आ रहे कपास पर आयात शुल्क बढ़ाने के बजाय 19 अगस्त से 30 सितंबर तक 11% से घटाकर शून्य कर दिया। यही नहीं, कल जब हल्ला मचा कि इससे गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब व हरियाणा समेत सारे देश के कपास किसान तबाह हो जाएंगे क्योंकि अक्टूबर से बाज़ार में उनकी फसल का कोई खरीदार नहीं होगा, तब सरकार की ढिठाई देखिए कि उसने यह छूट 31 दिसंबर तक बढ़ा दी। क्या यह अमेरिका का मुंहतोड़ जवाब है या देश के किसानों की बलि चढ़ा देना। देश इसके लिए मोदी सरकार को कभी माफ नहीं करेगा। अब शुक्रवार का अभ्यास…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...
