देश में आम निवेशकों के साथ फ्रॉड का सिलसिला जारी है। वित्तीय राजधानी मुंबई वित्तीय फ्रॉड की राजधानी बनती जा रही है। पिछले दिनों महाराष्ट्र की विधान परिषद में खुद राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जानकारी दी कि बीते दस सालों में मुंबई में 2.71 लाख निवेशकों के साथ ₹2.95 लाख करोड़ की धोखाघड़ी हुई है। पूंजी बाज़ार नियामक संस्था, सेबी की रिपोर्ट है कि बीते वित्त वर्ष 2024-25 में इक्विटी डेरिवेटिल सेगमेंट में सक्रिय 96 लाख व्यक्तिगत ट्रेडरों में से 91% ट्रेडरों को घाटा उठाना पड़ा और उनका सम्मिलित शुद्ध घाटा ₹1.06 लाख करोड़ रहा है। जब राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार और पूंजी बाज़ार नियामक को सब पता है तो वे निवेशकों को लूट से बचाने के सख्त उपाय क्यों नहीं कर रहे? इस सवाल का जवाब पाने के लिए एक ही ताज़ातरीन उदाहरण काफी है। गुरुवार, 3 जुलाई 2025 को सेबी ने अमेरिका की स्टॉक ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट पर बैन लगा दिया कि वो भारतीय शेयर बाजार में ट्रेडिंग नहीं कर सकती। सेबी ने एनएसई व बीएसई को इस फर्म पर कड़ी नज़र रखने की हिदायत दे दी। लेकिन उसी सेबी ने 8 दिन बाद शुक्रवार, 11 जुलाई 2025 को जेन स्ट्रीट को ईमेल किया कि उस पर लगा बैन हटा लिया जाएगा। बस, वो गलत कमाई के ₹4844 करोड़ एस्क्रो खाते में डाल दे। आखिर ऐसा क्यों? अब सोमवार का व्योम…
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