सरकार अपनी छवि बनाने के लिए बड़े-बड़े विज्ञापन निकाले, सफेद झूठ तक बोले तो चल सकता है। लेकिन जब वो देश में रोज़गार के मसले पर झूठ बोलती है तो ऐसा अपराध करती है जो अक्षम्य है, जिसके लिए भविष्य उसे कभी माफ नहीं कर सकता। नया साल शुरू होने के दो दिन बाद ही केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने मीडिया को बुलाकर दावा किया कि यूपीए के दस साल के शासन में 2004 से 2014 तक रोज़गार केवल 7% बढ़ा था, जबकि मोदी सरकार के दस साल के शासन में 2014 से 2024 तक देश में रोज़गार 36% बढ़ा है। उन्होंने पूरा डेटा दिया कि 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार ने केवल 2.9 करोड़ नई नौकरियां जोड़ी थीं, जबकि 2014 से 2024 तक मोदी सरकार ने 17.19 करोड़ नए रोज़गार जोड़े हैं। 2014-15 में देश में रोज़गार में लगे लोगों की संख्या 47.15 करोड़ थी, जबकि 2023-24 तक यह संख्या 36.44% छलांग लगाकर 64.33 करोड़ पर पहुंच गई। मीडिया ने श्रम मंत्री के इन दावों पर वाह-वाह किया। फिर मंत्री महोदय ने तो यहां तक दावा कर दिया कि मोदी सरकार ने अकेले वित्त वर्ष 2023-24 में ही करीब 4.6 करोड़ नए रोज़गार सृजित किए हैं। मीडिया में से किसी ने भी सवाल नहीं पूछा। अब मंगलवार की दृष्टि…
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