बाज़ार अबकी पहले जितना तो नहीं गिरा

बाज़ार थमने का नाम ही नहीं ले रहा। न जाने कब इस रात की सुबह होगी? यह सवाल आज शेयर बाज़ार के हर निवेशक व ट्रेडर के दिलो-दिमाग में नाच रहा है। हर तरफ घबराहट व अफरातफरी का आलम है। सरकारी अर्थशास्त्री से लेकर शेयर बाज़ार व म्यूचुअल फंड के धंधे में लोग समझाने में लगे हैं कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का स्वभाव ही संकट में निकल भागने का है। करीब डेढ़ महीने से एफपीआई के निकल भागने के बावजूद म्यूचुअल फंड व घरेलू संस्थाओं के मजबूत निवेश के चलते अपना शेयर बाज़ार ज्यादा नहीं गिरा है। इस बार 1 अक्टूबर 2024 से लेकर 14 नवंबर 2024 तक एफपीआई ने हमारे शेयर बाज़ार से 13.86 अरब डॉलर निकाले हैं। लेकिन बीएसई-500 सूचकांक इस दौरान 9.58% ही गिरा है। वहीं, जनवरी 2008 से मार्च 2009 तक वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान उन्होंने यहां से 15.42 अरब डॉलर निकाले थे और बीएसई-500 सूचकांक करीब 66% गिर गया था। इसी तरह कोविड संकट के दौरान फरवरी 2020 से अप्रैल 2020 तक एफपीआई ने 10.64 अरब डॉलर निकाले थे और सूचकांक करीब 37% गिर गया था। इसलिए ज्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं। भारत की विकासगाथा को कोई आंच नहीं आई है। क्या सचमुच? अब सोमवार का व्योम…

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