आपने अगर रिसर्च के आधार शेयर बाज़ार में निवेश करने की समझ और आदत बना ली तो बहुत अच्छा। तब धीरे-धीरे आपको कंपनियों और उनके धंधे की समझ बढ़ती जाएगी। तब आप उनके मूल्यांकन का गणित भी समझने लगेंगे। शुरू में ही आपको ईपीएस और पी/ई का महत्व पता लगने लगेगा। यह भी थोड़े समय में आप जान जाएंगे कि बैंकिंग व फाइनेंस कंपनियों में ईपीएस और पी/ई नहीं, बल्कि प्रति शेयर बुक वैल्यू (बीपीएस) और पी/बी की महत्ता होती है। फंडामेंटल रिसर्च पर आधारित यह ज्ञान धीरे-धीरे गहरा होता जाएगा। एक दिन आप इक्विटी या नेटवर्थ पर रिटर्न (RoE/RoNW) के पैमाने तक पहुंच जाएंगे। सीधा-सा समीकरण है कि जो कंपनी साल-दर-साल पूंजी (इक्विटी + रिजर्व = नेटवर्थ) पर ज्यादा रिटर्न कमा रही है, उसमें निवेश कर सकते हैं। मान लीजिए कि एक कंपनी का इक्विटी पर रिटर्न 10% और दूसरी का 20% है तो आप दूसरी को ही निवेश के लिए चुनेंगे। लेकिन शेयरों में निवेश आज और अभी नहीं, बल्कि भविष्य को सोचकर किया जाता है क्योंकि तभी उसका शेयर बढ़ सकता है। फिर बात कैसे आगे बढ़े और बढ़ाई जाए? अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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