विदेशो पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारत छोड़कर भाग रहे हैं और इससे हमारे शेयर बाजार में फिलहाल एक तरह की अफरातफरी मच गई है। इस सच को इनकार करना या इसकी अनदेखी करना ठीक नहीं। यह भी कहना मन को बहलाने जैसा है कि आम निवेशकों की बढ़ती प्रत्यक्ष हिस्सेदारी और म्यूचुअल फंडों के जरिए परोक्ष शिकरत से देशी निवेश इतना मजबूत हो गया है कि विदेशी निवेशकों के निकलने का कोई फर्क नहीं पड़ता। हम एफपीआई का निकलना नहीं रोक नहीं सकते। लेकिन ऐसी सूरत में आम निवेशक व ट्रेडर अधिकतम यही कर सकता है कि वो जान व समझ ले कि विदेशी व देशी निवेशक संस्थाओं ने किन-किन क्षेत्रों की लिस्टेड कंपनियों पर ज्यादा दांव लगा रखा है। डेटा पर नज़र डालने से पता चलता है कि इन दोनों संस्थाओं ने लगातार चार तिमाहियों से पूंजीगत माल या मशीनरी उद्योग, उपभोक्ता सेवा, पावर, रीयल एस्टेट, ऑटो व टेलिकॉम कंपनियों में अपना इक्विटी हिस्सा बढ़ा दिया है। वहीं, वे एफएमसीजी व फाइनेंस कंपनियों से इस दौरान अपना निवेश निकातते रहे हैं। साथ ही तीन तिमाहियों से बिकवाली के बाद एफपीआई केमिकल क्षेत्र में निवेश बढ़ाने लगे थे। अभी ताज़ा स्थिति क्या है, इसका डेटा सामने नहीं है। फिर भी इस समय रीयल एस्टेट सूचकांक 61.23 पी/ई पर ट्रेड हो रहा है, जबकि एफएमसीजी 52.10 और फार्मा सूचकांक 38.41 के पी/ई अनुपात पर। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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