शेयर बाज़ार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर यह कहावत बखूबी लागू होती है कि गंजेड़ी यार किसके, दम लगाकर खिसके। एफपीआई का चरित्र ही ऐसा है कि कोई देश उन पर भरोसा नहीं कर सकता। वे वहीं और तभी तक निवेश करते हैं, जब तक उन्हें मुनाफा मिलता है। हालांकि निवेश में खटाखट नहीं, बल्कि दो-चार साल की सोचकर चलते हैं। सरकारी प्रचार और आंकड़ों की परवाह नही करते। इधर जब से उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के खोखलेपन का अहसास हुआ है, तब से वे यहां से धन निकालते जा रहे हैं। आप जानकर चौंक जाएंगे कि जून 2022 से लेकर 20 सितंबर 2024 तक वे भारतीय शेयर बाज़ार से ₹1.82 लाख करोड़ निकाल चुके थे। उसके बाद जब 27 सितंबर को चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया, तब से तो लगता है कि एफपीआई बावले हो गए हैं। वे इस दौरान मात्र दस दिन की ट्रेडिंग में हमारे शेयर बाज़ार के कैश सेगमेंट में ₹69,396 करोड़ की शुद्ध बिकवाली कर चुके हैं। उनके इस रुख पर परदा डालने के लिए एनएसडीएल और सीएसडीएल ने शेयर बाज़ार में एफपीआई निवेश का डेटा ऋण जैसे माध्यमों के साथ घालमेल कर दिया है। अब सोमवार का व्योम…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...