बीते हफ्ते 11 सितंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में 70 साल या इससे ऊपर के सभी लोगों को सालाना पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध कराने की स्कीम को मंजूरी दे दी। यह साल 2018 से ही गरीबों के लिए चल रही आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का विस्तार है जिसमें 13.44 करोड़ परिवारों के करीब 65 करोड़ लाभार्थियों को कवर किया जा रहा है। लेकिन इसके विस्तार में शामिल वरिष्ठ नागरिकों पर आय या अमीर-गरीब होने की कोई शर्त नहीं है। इससे 4.5 करोड़ परिवारों के 6 करोड़ अतिरिक्त लोगों को फायदा मिलेगा। स्कीम को लागू करने की अधिसूचना जल्दी ही जारी कर दी जाएगी। सरकार का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 के छह महीनों और अगले पूरे वित्त वर्ष 2025-26 को मिलाकर इस स्कीम पर ₹3437 करोड़ का खर्च आएगा, जिसका 40% भाग राज्य सरकारों को देना होगा। बता दें कि आयुष्मान योजना में कुल प्रीमियम का 60% हिस्सा केंद्र और 40% हिस्सा राज्य सरकारें देती हैं। लाभार्थी से कुछ नहीं लिया जाता। सारा प्रीमियम जनता के टैक्स से चुनी हुई बीमा कंपनियों को दिया जाता है जो क्लेम का आधा-अधूरा भुगतान करती हैं। लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि क्या अवाम को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए बीमा का रास्ता सही है या अच्छे सरकारी अस्पतालों का? अब सोमवार का व्योम…
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