लोकसभा चुनावों के नतीजे दोपहर बाद तक साफ हो जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह दोनों ने दावा किया है कि आज हमारा शेयर बाज़ार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। लेकिन अगर मोदीराज वापस नहीं आया और इंडिया गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिल गया तो बाज़ार धड़ाम भी हो सकता है। याद कीजिए, बीस साल पहले 2004 में कमोबेश ऐसी ही स्थिति थी। जीडीपी लगभग 8% बढ़ा था। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की लोकप्रियता चरम पर थी। भाजपा और आरएसएस में तनाव की खबरें थी। विपक्ष एकदम बिखरा हुआ था। भाजपा ‘इंडिया शाइनिंग’ के नारे के साथ चुनाव में उतरी। सभी एक्जिट पोल अटल सरकार को जबरदस्त बहुमत दे रहे थे। लेकिन अंतिम नतीजे आए तो कांग्रेस को 145 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा 138 पर सिमट गई। सोमवार, 17 मई को बाज़ार खुला तो ट्रेडिंग के पहले 20 मिनट में ही सूचकांक 10% टूट गए। सर्किट ब्रेकर लगाना पड़ा। एक घंटे बाद बाज़ार खुला तो 5% और गिर गया। निफ्टी-50 उस दिन 17.47% टूटा था। सैकड़ों छोटे निवेशकों ने हंगामा कर दिया और सेबी व सोनिया गांधी के खिलाफ नारे लगाने लगे। बाज़ार को संभलने में छह महीने लग गए। बाद में जांच से पता चला कि यह अफरातफरी स्विस बैंक यूबीएस से जुड़ी 12 ट्रेडिंग फर्मों द्वारा की गई शॉट-सेलिंग का नतीजा थी। अब मंगलवार की दृष्टि…
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