एक बार जो चल जाए, उसका सिक्का लम्बा चलता रहता है। राजनीति से लेकर बिजनेस तक में ऐसे ही सिक्के चलते और उछलते हैं। नरेंद्र मोदी का सिक्का 10-15 साल में ऐसा चला दिया गया कि प्रधानमंत्री रहते भले ही उन्होंने आम जीवन से जुड़ा अपना कोई वादा पूरा नहीं किया, राममंदिर बनाकर और अनुच्छेद 370 हटाकर केवल भाजपा और संघ का एजेंडा पूरा किया, फिर भी लाखों पुरुष व महिला मतदाता कहते हैं कि हम तो उन्हें ही वोट देंगे। मोदी खुद कह चुके हैं कि वे दसवीं तक पढ़े हैं। उनकी बीए व एमए की डिग्रियां संदेह के घेरे में हैं। फिर भी वे आज भारत की राजनीति के शिखर-पुरुष बन चुके हैं। दूसरी तरफ दिल्ली के मशहूर सेंट स्टीफेंस कॉलेज से लेकर अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के ट्रिनिटी कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल करने वाले राहुल गांधी को राजनीति में पप्पू घोषित कर दिया गया। राहुल गांधी इसी जून में 54 साल के हो जाएंगे। लेकिन गृहमंत्री अमित शाह अब भी राहुल बाबा कहकर उनकी खिल्ली उड़ाते हैं। बिजनेस में इसी तरह ब्रांड का सिक्का चलता और उछलता है। विदेश में एप्पल से लेकर गूगल और देश में टाटा जैसे ब्रांडों की चमक बैलेंस शीट के सिर चढ़कर नाचती है। आज तथास्तु में मजबूत ब्रांड की एक कंपनी, जिसका शेयर अभी सस्ता है…
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