भारत की सबसे बड़ी ताकत है इसकी युवा पीढ़ी, जिसे डेमोग्राफिक डिविडेंड कहा जाता है। लेकिन भारत अभी भुखमरी के सूचकांक में दुनिया के 125 देशों में 111वे स्थान पर है। हमारे पांच साल तक के 35% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। 2047 में जब अमृतकाल पूरा होगा, तब ये बच्चे 24 से 29 साल के शारीरिक व मानसिक रूप से कमज़ोर युवा होंगे। ऐसी स्थिति में 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का दावा क्रूर मजाक है। सोचें कि क्या ऐसे युवाओं के दम पर भारत का डेमोग्राफिक डिविडेंड भविष्य में किसी काम का रह जाएगा? हमें पहले कुपोषण का स्तर 6% पर लाना होगा। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर व अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने हाल ही में कहा कि भारतीय अर्थव्यव्यवस्था का कुछ हिस्सा पहली दुनिया जैसा है, जबकि बहुत बड़े हिस्से में जीवन स्थितियां तीसरी दुनिया और सहारा रेगिस्तान से सटे अफ्रीकी देशों से भी बदतर हैं। अभी हमारी प्रति व्यक्ति आय 2500 डॉलर है। यह 6% की मौजूदा विकास दर से बढ़ती रही तो 2047 तक 10,000 डॉलर पर पहुंचेगी जो चीन की अभी की 13,000 डॉलर प्रति व्यक्ति आय से 3000 डॉलर कम होगी। अब बुधवार की बुद्धि…
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