आजकल सरकार की छोटी से छोटी आलोचना करना भी बड़ा गुनाह हो गया है। लेकिन सच कहने के लिए झूठ व गलत की आलोचना तो करनी ही पड़ती है। वैसे भी देश सबसे बड़ा है और सरकारें तो आती-जाती रहती हैं। अभी हम यह सच सामने लाना चाहते हैं कि समूचा सरकारी तंत्र निवेशकों की शिक्षा व सुरक्षा के नाम पर उन्हें वित्तीय रूप से अशिक्षित और असुरक्षित ही रहना चाहता है ताकि वित्तीय बाज़ार के शातिर शिकारी आसानी से उनका शिकार कर सकें। हम सभी जानते हैं कि डे-ट्रेडिंग शेयर बाज़ार की सबसे ज्यादा रिस्की गली है और रिटेल निवेशक/ट्रेडर सबसे ज्यादा कमज़ोर, असुरक्षित व मासूम हैं। फिर भी निवेशकों की सबसे बड़ी शुभचिंतक सेबी ने नियम बना रखा है कि, “भारतीय शेयर बाज़ार में केवल और केवल रिटेल निवेशकों को ही डे-ट्रेडिंग करने की इजाज़त है।” यह तो वही बात हुई कि चढ़ जा बेटा सूली पर, भला करेंगे राम! जहां सेबी को आम या रिटेल निवेशकों को इंड्रा-डे ट्रेडिंग जैसे खतरनाक धंधे से दूर रखना चाहिए, वहां उसमें अकेले रिटेल निवेशकों को धकेला जा रहा है! खुद सेबी के अध्ययन से साफ हो चुका कि आम निवेशकों को फ्यूचर्स व ऑप्शंस ट्रेडिंग में भारी नुकसान होता है। फिर उन्हें डे-ट्रेडिंग से क्यों नहीं रोका जा रहा? अब बुधवार की बुद्धि…
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