शेयर बाज़ार में ओवर-ट्रेडिंग करना धन ही नहीं, तन व मन के लिए भी घातक है। साफ समझ लें कि ट्रेडिंग पूरी तरह मनोविज्ञान व सहज मानव-प्रवृत्तियों पर चलनेवाला खेल है। जितना ज्यादा आवेश में रहेंगे, उतना ही ज्यादा दूसरों के शिकार बन सकते हैं। इसलिए ट्रेडिंग में नियमित रूप से ब्रेक लेते रहना ज़रूरी है। अच्छा ट्रेड कर लिया, बड़ा मुनाफा कमा लिया, तब भी कुछ दिन शांत रहना चाहिए क्योंकि तब आपको लगने लगता है कि आप उस्ताद हो और बाज़ार को मात दे सकते हो। वहीं, ट्रेड में घाटा लग गया तो आप बाज़ार से बदला लेने में लग जाते हो। कभी न भूलें कि बाज़ार सुप्रीम है और उससे पंगा लेना आत्मघाती है। दो-छह का नियम हमेशा याद रखें। किसी एक सौदे में दो प्रतिशत से ज्यादा घाटा नहीं खाना है और किसी महीने में जब भी कुल छह प्रतिशत का घाटा लग जाए तो बाकी महीने के लिए ट्रेडिंग बंद कर देनी है। मन बेचैन हो, घर या बाहर झगड़ा किया हो, उस दिन कतई ट्रेड न करें। शांत मन से ही ट्रेड करें। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
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