अच्छी बात यह है कि रोज़ी-रोज़गार से लेकर बेहतर जीवन के अवसरों की तलाश में परदेश चले गए भारतीय अपने लोगों को नहीं भूल जाते। वे बराबर अपनी कमाई का एक हिस्सा परिजनों को भेजते रहते हैं। साल 2022 में उनके द्वारा देश में भेजी गई रकम 24% बढ़कर 111 अरब डॉलर पर पहुंच गई। यह रकम दक्षिण एशिया में प्रवासी नागरिकों द्वारा भेजी गई कुल विदेशी मुद्रा का 63% थी और विश्व बैंक के 100 अरब डॉलर के अनुमान से 11% ज्यादा थी। लेकिन विश्व बैंक की ताज़ा माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट रिपोर्ट के मुतातिक इस साल 2023 में यह रकम सात्र 0.2% बढ़ने की उम्मीद है। इसका साफ कारण है ओईसीडी (आर्थिक सहयोग व विकास संगठन) में शामिल 38 विकसित देशों में धीमी आर्थिक प्रगति। इसके चलते वहां रोज़गार के अवसर घट रहे हैं और कई देशों में मंदी व छंटनी तक की स्थिति आ चुकी है। कच्चे तेल की कीमतों के घटने की वजह से खाड़ी के देशों से भी भारत में इस साल कम धन आ सकता है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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