सरकार ने सालाना रक्षा आयात बिल को 40,000 करोड़ रुपए से घटाकर 20,000 करोड़ रुपए करने की योजना बनाई है। यह कहना है कि रक्षा राज्यमंत्री एम.एम. पल्लम राजू का। उन्होंने गुरुवार को हैदराबाद में निजी क्षेत्र की कंपनी न्यूकॉन इंडस्ट्रीज की डिफेंस व एयरोस्पेस सिस्टम एकीकरण यूनिट का उद्घाटन करते हुए कहा कि आयात घटाने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाई जाएगी।
इस समय रक्षा सामग्रियों के लिए नियत रकम का करीब 65 फीसदी आयात पर खर्च होता है। चालू वित्त वर्ष 2010-11 के लिए कुल रक्षा बजट 1,47,344 करोड़ रुपए का है, जिसमें 60,000 करोड़ रुपए रक्षा सामग्रियों की खरीद यानी पूंजी खर्च के लिए रखे गए हैं।
राजू ने कहा, ‘‘आज हम रक्षा सामग्रियों का 60 से 65 फीसदी आयात करते हैं, जबकि 35 से 40 फीसदी रक्षा उत्पाद देश में बनाए जाते हैं। अगले कुछ सालों में यह अनुपात उलटने के लिए जमीन तैयार की जा रही है।’’ उन्होंने कहा कि यह केवल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के जरिए हासिल करना संभव नहीं है। हमे इसे हासिल करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी की जरूरत होगी।
राजू ने कहा कि भारत सरकार द्वारा निकट भविष्य में 3000 करोड़ डॉलर से अधिक मूल्य के रक्षा उपकरणों का आयात किए जाने की संभावना है, जबकि भारतीय कंपनियों को रक्षा खरीद नीति के ऑफसेट प्रावधानों के तहत 30 फीसदी यानी 1000 करोड़ डॉलर के ऑर्डर विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से घरेलू कंपनियों को मिलने की उम्मीद है।