जब विश्व अर्थव्यवस्था की नब्ज़ डूब रही हो, तब भारत का निर्यात कैसे सात साल में 2030 तक तीन गुना बढ़कर 2000 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा? वह भी तब, जब 2015-20 की पिछली व्यापार नीति में इसे 2020 तक 900 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य था और तीन साल बाद 2023 तक भी वो मात्र 760 अरब तक पहुंचने जा रहा है! असल में अपने यहां पिछले कुछ सालों में घोषणाएं आर्थिक लक्ष्य हासिल करने के लिए नही, बल्कि पब्लिक को झांसा देने के लिए की जा रही हैं। चाहे वो साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा हो या 2026 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बना देने का। किसी को न तो फिक्र है और न ही किसी की कोई जवाबदेही है कि तय समय में लक्ष्य हासिल क्यों नहीं हुआ? आर्थिक घोषणाएं महज चुनावी लाभ के लिए की जा रही हैं। चुनाव खत्म, बात हजम। अब बुधवार की बुद्धि…
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