यह कहावत तो आप में से बहुतों से सुनी होगी कि सूप बोले तो सूप, चलनियो बोले जिसमें छप्पन हैं छेद। इसी अंदाज में जिसका अघोषित नारा बन गया हो कि हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे, उस कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी का कहना कि भ्रष्टाचार को कतई बरदाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने रविवार को राजधानी दिल्ली में पार्टी के 83वें महाधिवेशन का उद्घाटन करते हुए कांग्रेसजनों को सादगी व मितव्ययता का पाठ पठाया। उनका कहना था, “हमें अपनी शुचिता और ईमानदारी के बारे में कोई संदेह नहीं होने देना चाहिए।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं, कि हर स्तर पर भ्रष्टाचार आज हमारे पूरे समाज में एक बीमारी की तरह फैल गया है लेकिन इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। उनका कहना था, ‘‘इस भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी कीमत गरीब चुका रहा है और इसका सबसे बड़ा बोझ भी वही उठा रहा है… भ्रष्टाचार और अनाचार को हरगिज बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।’’
नोट करने की बात यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व्यक्तिगत स्तर पर भले ही ईमानदार हों, लेकिन जिस राजनीतिक दल की वे अगुआई कर रहे हैं, उसके तमाम नेता आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं, इसके किसी को कोई संदेह नहीं हो सकता। ऐसे में सोनिया गांधी की बयानबाजी सिर्फ राजनीतिक प्रपंच और ढकोलने की पराकाष्ठा जैसी ही दिखती है। जिस आर्थिक उदारतावाद की राह यूपीए ने अपना रखी है, उसके लिए भी भ्रष्टाचार को मिटाना जरूरी शर्त है। चीन ने अगर भारत की तुलना में कई गुना ज्यादा आर्थिक प्रगति कर ली है तो उसकी एक प्रमुख वजह यह है कि वहां भ्रष्टाचारी नेताओं और अफसरों को बेझिझक फांसी की सजा दे दी जाती है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि गरीबों की बात करने वालों के लिए यह शोभा नहीं देता कि वे लालच, दिखावे और विलासिता में लिप्त हों। सोनिया ने कहा कि सादगी, संयम और मितव्ययता हमारा तय रास्ता होना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम इसे कानून तो नहीं बना सकते, लेकिन ऐसे देश में जहां अभी चारों ओर गरीबी व्याप्त है, कम से कम हम धन के भौंडे प्रदर्शन और बर्बादी की नैतिक समझ तो होनी ही चाहिए। इसका यह मतलब भी नहीं है कि हम शादी, विवाह और त्योहारों के आयोजन को ही बंद कर दें। हम मर्यादित तरीके से इन्हें क्यों नहीं मना सकते।
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन, आदर्श सोसायटी और राष्ट्रमंडल खेलों में अनियमितताओं की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग पर संसद का पूरा शीतसत्र ठप कर देने के विपक्ष के रवैये की आलोचना करते हुए संप्रग अध्यक्ष ने कहा ‘‘क्या संसद को इस तरह ठप कर देने को जायज ठहराया जा सकता है? क्या विपक्ष उन मानदंडों की अवमानना करने को न्यायोचित ठहरा सकता है जिन मानदंडों पर संसदीय लोकतंत्र चलता है।’’
राजधानी दिल्ली की सीमा पर बुरांडी में पूरे ठाठबाट के साथ आयोजित कांग्रेस के 83वें महाधिवेशन के दौरान पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल से बढाकर पांच साल करने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आस्कर फर्नाडिस ने यह प्रस्ताव पेश किया, जिसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, रक्षा मंत्री ए के एंटनी और पार्टी महासचिव राहुल गांधी, पार्टी के वरिष्ठ मंत्रियों और नेताओं ने मंजूरी दे दी। यह संशोधन ऐसे समय में आया है, जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लगातार चौथी बार पार्टी की कमान संभाल रही हैं। यह 1885 में एक अंग्रेज ए ओ ह्यूम द्वारा स्थापित सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का सबसे लंबा कार्यकाल है।
मान गए अनिल जी आपको . साली नौटंकी की भी हदें पार कर गयीं मैडम जी ……………1G ..2G …3G !
हाँ जी ! हाँ जी ! हाँ जी !!!!!!!