सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिए है कि वे 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में 2001 से लेकर 2008 तक की अवधि की पूरी जांच करें। इस निर्देश के साथ ही एनडीए और यूपीए दोनों के शासनकाल की दूरसंचार नीतियां अब जांच के दायरे में आ गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जी एस सिंघवी और ए के गांगुली की पीठ ने स्पष्ट किया कि जांच में सरकारी खजाने को हुए नुकसान पर जोर दिया जाना चाहिए और सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की प्रगति रिपोर्ट सुनवाई की अगली तारीख 10 फरवरी 2011 को बंद लिफाफे में सौंपी जानी चाहिए।
पीठ ने गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की अपील को स्वीकार कर लिया जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। संगठन ने दिल्ली हाई कोर्ट से आग्रह किया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस आवंटन में हुई अनियिमतिताओं की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश दिया जाए।
हाई कोर्ट द्वारा अपील खारिज किए जाने के बाद संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में में अपील की जिसे स्वीकार कर लिया गया। शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, ‘‘हाई कोर्ट ने रिट याचिका को खारिज कर गंभीर गलती की। आरोपों में कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए प्रथमदृष्टया दस्तावेजों में पर्याप्त सामग्री थी।’’