निफ्टी फ्यूचर्स का साथ इधर समस्या यह चल रही है कि निफ्टी के स्पॉट भाव से वह बेहद मामूली प्रीमियम पर रहता है और बहुत बार तो डिस्काउंट या नीचे चला जाता है। इस डिस्काउंट का सीधा-सा मतलब यह हुआ कि ट्रेडर निफ्टी के बढ़ने की गुंजाइश नहीं देख रहे तो उसके फ्यूचर्स कम भाव पर बेचने को तैयार हैं। यह बाज़ार के लिए बेहद दुखद और अफसोसनाक है। मंदी की धारणा ने उनको ऐसा जकड़ लिया है कि वे जितने सौदे कर सकते हैं, उससे बेहद कम एक्पोज़र ले रहे हैं। यही वजह है कि डेरिवेटिव सौदों में तेज़ी के माहौल के लिए जो मार्केट वाइड पोजिशन लिमिट (MWPL) 30-32% भरनी चाहिए, वह अभी 15-16% को भी पार नहीं कर पा रही। शुक्रवार को यह 15.79% भरी थी, जबकि कल सोमवार को तो उससे भी कम 14.86% ही रही है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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