“शरीर हमसे बिना पूछे सोते-जागते, दिन-रात अपना काम करता रहता है। हमारे पूरे सुरक्षा तंत्र को चाक-चौबंद रखता है। लेकिन उसे भी कभी-कभी हमारी मदद की जरूरत पड़ती है। वह इशारों में बताता है। जब भी हम इन इशारों को नहीं समझते तो हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है।”
2010-04-02