सांघवी मूवर्स (बीएसई कोड – 530073, एनएसई कोड – SANGHVIMOV) के साथ भारी समस्या यह है कि उसके स्टॉक में ज्यादा ट्रेडिंग नहीं होती। जैसे, कल बीएसई में उसके केवल 1459 शेयरों के सौदे हुए हैं और पिछले दो हफ्ते का औसत कारोबार 4227 शेयरों का रहा है। इसी तरह एनएसई में कल इसके मात्र 2825 शेयरों में कारोबार हुआ है जिसमें से 1782 या 63.08 फीसदी शेयर ही डिलीवरी के लिए थे। बीएसई के बी ग्रुप में शामिल है। दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर है। बाजार में अभी 181.95 रुपए पर चल रहा है।
कंपंनी द्वारा जारी कुल इक्विटी शेयरों की संख्या 4.33 करोड़ है तो मौजूदा भाव पर कुल बाजार पूंजीकरण हुआ 4.33 x 181.95 = 787.84 करोड़ रुपए। प्रवर्तकों के पास 44.52 फीसदी शेयर हैं और पब्लिक के पास बाकी 55.48 फीसदी। इसमें से भी 4.94 फीसदी म्यूचुअल फंडों के पास, 9.57 फीसदी एफआईआई के पास और 14.92 फीसदी विदेशी वित्तीय संस्थाओं के पास हैं। इस तरह गैर-संस्थागत निवेशकों के पास बचते हैं कंपनी के केवल 26.07 फीसदी शेयर। इसमें से भी 10.16 फीसदी शेयर एक विदेशी कंपनी गोल्डपीक लिमिटेड ने ले रखे हैं।
कॉरपोरेट निकायों के पास कंपनी के 2.97 फीसदी शेयर हैं। एक लाख रुपए से ज्यादा लगानेवाले सात निवेशकों के पास कंपनी के 4.09 फीसदी शेयर हैं। 195 अनिवासी भारतीयों के पास इसके 1.04 फीसदी और 55 क्लियरिंग सदस्यों के पास 0.07 फीसदी शेयर हैं। आप खुद देख सकते हैं कि थोक शेयरधारकों से मुक्त शेयरों की संख्या कंपनी के कुल शेयरों की मात्र 7.74 फीसदी है जो 8897 खुदरा निवेशकों में बिखरी है। इनमें से कितने पोरक्ष रूप से प्रवर्तकों से जुड़े होंगे, इसकी सार्वजनिक जानकारी नहीं है। ऐसे में इस स्टॉक में ट्रेडिंग अधिक हो भी तो कैसे?
रिटेल निवेशक तो हमेशा ट्रेडिंग करने आता नहीं। थोक शेयरधारक चलें तब कोई बात बनें। वैसे कंपनी का शेयर अपने न्यूनतम स्तर 156 रुपए के करीब चल रहा है जो उसने 13 सितंबर 2010 को हासिल किया था। 181.95 रुपए के मौजूदा बाजार भाव पर उसका पी/ई अनुपात मात्र 8.62 रुपए है क्योंकि जून 2010 तक के बारह महीनों का उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 21.10 रुपए है। उसकी बुक वैल्यू 114.04 रुपए है। इन वित्तीय मानकों के आधार पर कंपनी में निवेश आकर्षक दिख रहा है।
बता दें कि सांघवी मूवर्स देश की सबसे बड़ी क्रेन हायरिंग कंपनियो में शुमार है। क्रेन इंटरनेशनल ने साल भर पहले उसे दुनिया में इस क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनियों में नौवें स्थान पर रखा था। उसके ग्राहकों में रिलायंस, टाटा पावर व एनटीपीसी समेत करीब सौ बड़ी कंपनियां शामिल हैं। कंपनी ने अभी तक सितंबर 2010 तिमाही के नतीजे घोषित नहीं किए हैं। जून 2010 की तिमाही में उसने 86.14 करोड़ रुपए की आय पर 24.02 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है और उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 79.08 फीसदी रहा है। इससे पहले वित्त वर्ष 2009-10 में उसकी आय 331.53 करोड़, शुद्ध लाभ 90.42 करोड़ रुपए और ओपीएम 79.59 फीसदी रहा था।
इधर सितंबर से ही प्रवर्तक कंपनी में अपनी इक्विटी धीरे-धीरे बढ़ा रहे हैं। जैसे, उनसे जुड़ी महाराष्ट्र एरेक्टर्स प्रा. लिमिटेड की हिस्सेदारी 8 सितंबर को 0.14 फीसदी शेयर खरीदने के बाद कंपनी में बढ़कर 33.56 फीसदी हो गई। पिछले महीने 15 अक्टूबर को सांघवी हाई-लिफ्ट ने कंपनी के 0.02 फीसदी शेयर खरीदे हैं। शायद प्रवर्तकों ने सस्ते में शेयर खरीदने के लिए ही इसके भाव दबा रखे हों। जो भी हो, आम निवेशकों को भी कंपनी के शेयर गिरे हुए भावों पर खरीद लेने चाहिए और पूरी उम्मीद है कि यह लंबे समय में फायदे का सोदा साबित होगा।