रिटेल निवेशक कब तक टेक्निकल एनालिस्टों के चार्टों की धुन पर, सपेरों की बीन पर सांप की तरह नाचते रहेंगे? यह एक बड़ा सवाल है और इसका जवाब रिटेल निवेशक ही दे सकते हैं। अभी तक वे ब्रांड-भक्त बने हुए हैं और अपने ही ब्रोकरों का कहा सुनते हैं। लेकिन इन ब्रोकरों का सरोकार तो अपने धंधे-पानी से ज्यादा और रिटेल निवेशकों की जेब से कम होता है।
जैसी कि उम्मीद थी, चार्टवाले राग अलापने लगे कि निफ्टी अब 5900 तक चला जाएगा, जबकि हम 6200 के पक्ष में डटे रहे। इसमें से किसे चुना जाए, यह फैसला आपको ही करना है। इस बीच रीयल्टी सेक्टर के शेयर लगातार खुद को मजबूत कर रहे हैं और नया आधार बनाते जा रहे हैं। एफआईआई ने कोल इंडिया में भारी निवेश इसलिए नहीं किया कि यह कंपनी अच्छी है, बल्कि इसलिए कि वे जानते हैं कि बाजार अच्छा चल रहा है और बड़ा निवेश केवल आईपीओ के जरिए हासिल किया जा सकता है।
घरेलू संस्थाओं में एलआईसी ने इसमें 13,500 करोड़ रुपए, एसबीआई ने 7500 करोड़ रुपए और अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों ने 10,000 करोड़ रुपए लगाए हैं। इसके अलावा डीएसपी पी-नोट ने 300 करोड़ डॉलर, सिटी पी-नोट ने 200 करोड़ डॉलर और कैपिटल ने अपने चार सब-एकाउंटों के जरिए 260 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। साथ ही अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (एडीएजी) ने कोल इंडिया के आईपीओ में 50 करोड़ डॉलर डाले हैं। और भी तमाम दिग्गज हैं जिन्होंने इसमें बड़ा निवेश किया है। ये आंकड़े हमने अपने स्रोतों से जुटाए हैं।
कोल इंडिया के आईपीओ के चलते बाजार में लिक्विडिटी की समस्या आएगी, यह बात हमने आज से करीब महीने पर पहले बता दी थी। लेकिन यह संकट अपने-आप में अगला वरदान लेकर आया है। यह सच्चाई बहुतों के समझ में नहीं आ सकती क्योंकि उनकी निगाह रोजमर्रा के प्रवाह तक बंधी रहती है। इस आईपीओ से रिफंड हुई एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम सेकेंडरी या शेयर बाजार में आनी है क्योंकि एफआईआई एक बार जो राशि निवेश के लिए निकाल देते हैं, वो दोबारा उनके खाते में वापस नहीं जाती, बल्कि दूसरे स्टॉक्स में लगा दी जाती है।
बिग बुल (राकेश झुनझुनवाला) ने कल ऑर्किड केमिकल्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, नागार्जुन कंस्ट्रक्शन, अरविंद मिल्स, हिंदुस्तान ऑयल, बॉम्बे डाईंग जैसे कई स्टॉक्स में हाथ डाला है। इसका सीधा-सा मतलब यह हुआ कि तेजी का जश्न अभी खत्म नहीं हुआ है। वैसे, यह आप पर निर्भर करता है कि आप इससे क्या अर्थ निकालते हैं।
ओएमडीसी का तेजड़िया अब बालासोर एलयॉज में एंट्री ले चुका है और जीएस (गोल्डमैन सैक्स) क्विंटेग्रा में क्योंकि कंपनी ने अपनी बैलेंस शीट के मुताबिक 2.50 करोड़ डॉलर जुटाने का फैसला कर लिया है। नैस्डैक 5000 अंक से ऊपर जाने की तैयारी में है और आप यह बात नोट कर लें कि क्विंटेग्रा सोल्यूशंस का स्टॉक अगला स्पाइस मोबाइल बनने जा रहा है। कंपनी ने पिछला अधिग्रहण 180 करोड़ रुपए में किया था। तब इस स्टॉक को वन-मैन आर्मी (केतन पारेख) चला रहा था। अब यह जीएस के हाथ में है। दक्षिण अफ्रीका का रैंड मर्चेंट बैंक जेएम फाइनेंशियल का अधिग्रहण 70 रुपए के भाव पर करने जा रहा है, जबकि ल्यूपिन ऑर्किड केमिकल्स को 380 रुपए के भाव पर हथियाने की कोशिश में है।
संजीवनी पैरेंटल के प्रवर्तक कम मूल्य पर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं और इसलिए अघोषित खातों से बेचकर शेयर के भाव को थामने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन तमाम फंड इस स्टॉक को लेकर तेजी के मूड में आ गए हैं क्योंकि कंपनी की योजना अपनी सब्सिडियरी का विलय खुद में करने की है। यह देश की सबसे मजबूत फार्मा कंपनियों में शुमार होने जा रही है। इसलिए खरीदारों की दिलचस्पी इसमें बढ़ गई है।
मेरा नजरिया और लक्ष्य यह है कि मैं निफ्टी को कम से कम 10,000 अंक तक ले जाऊं। आप मुझ पर कितना भरोसा करते हैं, यह आपको सोचना है। बहुत से लोगों ने केवल मुझ पर भरोसा कर बाजार से पैसे बनाए हैं और बहुत से लोगों ने पैसे गंवाएं हैं क्योंकि उन्होंने किसी न किसी वजह से औरों पर भरोसा किया।
अगर आपको अपनी जगह नए सिरे से बनानी है तो इसके लिए आपको सबसे पहले नया ब्रह्मांड रचना होगा।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)