अगर साल 2003 से पूंजी बाजार में उतरी सार्वजनिक क्षेत्र की 28 कंपनियों के आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक ऑफर) के इतिहास को आधार मानें तो कोल इंडिया और सेल के आगामी पब्लिक इश्यू बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। इन 28 कंपनियों में से 94 फीसदी के आईपीओ इश्यू मूल्य से कम से कम 10 फीसदी बढ़त के साथ बाजार में सूचीबद्ध हुए हैं। प्रमुख ब्रोकरेज व निवेश बैंकिंग फर्म एनाम सिक्यूरिटीज ने तमाम आंकड़े जुटाकर यह हकीकत उजागर की है।
साल 2003 में यूको बैंक से लेकर साल 2010 में इंजीनियर्स इंडिया (ईआईएल) जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की 28 कंपनियों के पब्लिक इश्यू (आईपीओ व एफपीओ) के विश्लेषण से पता चलता है कि इनमें से 63 फीसदी कंपनियों ने अपने इश्यू मूल्य की तुलना में निवेशकों को बढ़िया रिटर्न दिया। यह गणना उक्त कंपनियों के शेयरों के 29 सितंबर के मूल्य के हिसाब से की गई है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां रिटेल निवेशकों को इश्यू मूल्य में अमूमन पांच फीसदी का डिस्काउंट भी देती हैं। यह पीएसयू के आईपीओ के लिए अलग आकषर्ण है।
एनाम सिक्यूरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार हालांकि लिस्टिंग के समय अधिकतर पीएसयू के शेयर भाव में बहुत ज्यादा वृद्धि नहीं हुई लेकिन 28 में से 17 कंपनियों के आईपीओ 10 फीसदी से अधिक प्रीमियम के साथ सूचीबद्ध हुए जिनमें से दस कंपनियों के तो शेयर 20 फीसदी से ज्यादा प्रीमियम पर सूचीबद्ध हुए। 28 में से दो सरकारी कंपनियों – पीएनबी और इलाहाबाद बैंक ने लिस्टिंग पर घाटा उठाया था। लेकिन 29 सिंतबर के भाव को आधार बनाएं तो ये इश्यू मूल्य से करीब 175 फीसदी ऊपर हैं।
हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र की तीन कंपनियां एनएचपीसी, एनएमडीसी और एसजेवीएनएल 29 सितंबर की स्थिति के अनुसार सूचीबद्ध मूल्य से नीचे पर कारोबार कर रही थी। लेकिन इनमें काफी संभावनाएं छिपी हुई हैं। इस साल सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश से कुल 40,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। अगले कुछ महीनों में कोल इंडिया और सेल के अलावा ओएनजीसी, पावर ग्रिड और इंडियन ऑयल के भी पब्लिक इश्यू आनेवाले हैं।