सार्वजनिक अस्पतालों को चलाने के लिए सरकार को सब्सिडी देनी पड़ती है, जबकि निजी अस्पताल महंगे होने के बावजूद लोगों से पटे रहते हैं और करोड़ों का मुनाफा कमाते हैं। यह मानसिकता और पद्धति का सवाल है। ब्रिटेन में सब्सिडी चलती है तो हेल्थकेयर सिस्टम पिटा पड़ा है। जर्मन में स्वास्थ्य बीमा चलता है तो हेल्थकेयर सिस्टम चकाचक है। भारत में सब घालमेल है। लेकिन ‘जान है तो जहान है’ और परिजनों के लिए कुछ भी करनेवाले हमारे देश में अस्पतालों का धंधा जबरदस्त चलता है, यह हर कोई जानता है। अपोलो हॉस्पिटल्स (बीएसई कोड – 508869, एनएसई कोड – APOLLOHOSP) इसकी मिसाल है। उसके पास देश में अस्पतालों का सबसे बड़ा तंत्र है।
अपोलो के पास इस समय 50 अस्पताल हैं जहां 8000 बिस्तरों से ज्यादा की सुविधा है। यही नहीं, वह 1066 फॉर्मेसी और 100 डायग्नोस्टिक सेंटर भी चलाती है। कंपनी विस्तार के काम में लगी है। अगले दो-तीन सालों में वह करीब 2500 बिस्तरों की सुविधा जोड़ने जा रही है। उसने बीते वित्त वर्ष 2010 में ही छह नए अस्पताल शुरू किए हैं। इसलिए चालू वित्त वर्ष से उसकी आय और बढ़ जाएगी। कंपनी मेडिकल बीपीओ और स्वास्थ्य बीमा सेवाओं में भी सक्रिय है। वह अब तक 55 देशों के 1.60 करोड़ मरीजों का इलाज कर चुकी है।
बहुत साफ-सी बात है कि अपोलो हॉस्पिटल्स एक नायाब व स्थापित बिजनेस मॉडल की कामयाबी का नाम है और यह कंपनी हमेशा के लिए है। इसके शेयर हाल ही में दस रुपए से 5 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में स्प्लिट किए गए हैं। कल बीएसई में इसके शेयर 1.31 फीसदी बढ़कर 455.65 रुपए पर बंद हुए हैं। 406 रुपए इसका 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर है जो इसने 6 सितंबर 2010 को हासिल किया था। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीने (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 11.85 रुपए रहा है और उसका शेयर अभी इसका 38.45 गुना (पी/ई) चल रहा है। उसकी बुक वैल्यू 127.95 रुपए है।
मतलब, आज की तारीख में यह शेयर बहुत सस्ता तो नहीं हुआ। लेकिन एचडीएफसी सिक्यूरिटीज की एक रिपोर्ट का आकलन है कि इस साल अपोलो हॉस्पिटल का ईपीएस 15.6 रुपए और अगले साल 2011-12 में 21.9 रुपए रहेगा। अभी साल भर बाद के ईपीएस के आधार पर कंपनी के शेयर का पी/ई अनुपात 20.8 है। अगर हम इसे मौजूदा 38 के बजाय 25 भी मानें तो यह शेयर अपनी मूल ताकत के आधार पर 547 रुपए तक जाने की संभावना रखता है। यह करीब 20 फीसदी का रिटर्न है जिसे अच्छा ही माना जाएगा।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 2026.5 करोड़ रुपए की आय पर 137.6 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। इस साल जून 2010 की पहली तिमाही में उसकी आय 523.29 करोड़ और शुद्ध लाभ 39.27 करोड़ रुपए रहा है। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज की रिसर्च कहती है कि पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में अपोलो हॉस्पिटल्स की आय 2536.9 करोड़ और शुद्ध लाभ 197.1 करोड़ रुपए रह सकता है। इसके बाद 2011-12 में 3161.5 करोड़ की आय और 277.6 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ का अनुमान है। इस दौरान कंपनी के फॉर्मेसी व्यवसाय में भी काफी सुधार की उम्मीद है। वह अगले साल से प्राइवेट लेबल के उत्पाद और जेनरिक दवाएं भी बेचना शुरू करेगी। लंबे समय के लिए अपोलो हॉस्पिटल्स में निवेश काफी सुरक्षित है।
कंपनी की 61.78 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तक रेड्डी परिवार की हिस्सेदारी 33.54 फीसदी है, जबकि एफआईआई के पास उसके 24.13 और डीआईआई के पास 3.67 फीसदी शेयर हैं। प्रवर्तकों के अपने हिस्से के शेयरों का 65 फीसदी भाग (कंपनी कुल पूंजी का 21.80 फीसदी) गिरवी रखा हुआ है। यह जून 2010 की तिमाही की स्थिति थी। ताजा हाल का पता नहीं।