हमने ऑप्शन के भावों को समझने के दौरान पाया कि इसे निर्धारित करने में वोलैटिलिटी, विशेष रूप से इम्प्लायड वोलैटिलिटी बहुत अहम भूमिका निभाती है। इसी तरह की वोलैटिलिटी को एनएसई का एक सूचकांक हर दिन पेश करता है। वो है India VIX जो निवेशकों में छाई धारणा को दिखाता है कि एक्सपायरी तक निफ्टी कितना ऊपर या नीचे हो सकता है। यह असल में ऑप्शंस के प्रीमियम की इम्प्लायड वोलैटिलिटी की माप है। साथ ही इससे अगले 30 कैलेंडर दिनों में बाज़ार में अपेक्षित चंचलता का भी अंदाज़ लगाया जाता है।
इसकी गणना में एक्सपायरी में बचे समय को दिनों में नहीं, बल्कि मिनटों में लिया जाता है। रिस्क-फ्री ब्याज की दर डेरिवेटिव सौदे के महीने की एनएसई मिबोर (मुंबई इंटरबैंक ऑफर रेट) को माना जाता है। फॉरवर्ड इंडेक्स स्तर की मदद से निफ्टी में एटीएम (एट द मनी) स्ट्राइक मूल्य और फिर ओटीएम (आउट ऑफ द मनी) कॉल व पुट ऑप्शन निकाले जाते हैं। इनके बिड (खरीदने) और आस्क (बेचने के) भावों के खास समीकरण के आधार पर इंडिया वीआईएक्स की गणना की जाती है। यह गणना शिकागो बोर्ड ऑप्शन एक्सचेंज (सीबीओई) द्वारा स्वीकृत पद्धति से की जाती है। हम आगे कभी इस गणना को व्यवहार में करेंगे और समझेंगे।
फिलहाल इतना समझ लीजिए कि इसे डर का सूचकांक माना जाता है। ज्यादा है तो बाज़ार में उथल-पुथल का डर बढ़ा हुआ है, जबकि कम है तो इसका मतलब कि बाज़ार की हालत सामान्य है। आमतौर पर इसका उच्चतम स्तर 80-90 और न्यूनतम स्तर 9-10 की रेंज में रहता है। मार्च में कोरोना का डर बढ़ने के माहौल में इंडिया वीआईएक्स 24 मार्च को 86.635 तक उठ गया था जो सितंबर 2009 के बाद का उसका उच्चतम स्तर है। उसके बाद धीरे-धीरे गिरता हुआ कल वह 30.1150 पर बंद हुआ है। बाज़ार के उस्ताद और समझदार ट्रेडर वीआईएक्स के बहुत ज्यादा होने पर ट्रेडिंग बंद कर देते हैं क्योंकि तब ऑप्शन ट्रेडिंग में धन के डूब जाने की प्रायिकता बहुत ज्यादा होती है।
सवाल उठता है कि इंडिया वीआईएक्स के आंकड़े का व्यावहारिक उपयोग क्या है? आइए, समझते हैं। शनिवार, रविवार और छुट्टियों को घटा दें कि शेयर बाज़ार में अमूमन 250 दिन ट्रेडिंग होती है। इसका वर्गमूल 15.81 निकलता है। कल का इंडिया वीआईएक्स 30.1150 रहा है। इसे अगर 15.81 से भाग दें तो परिणाम 1.90 निकलता है। इसका मतलब यह हुआ कि बाज़ार में ट्रेडर निफ्टी के एक दिन में 1.90% ऊपर या नीचे होने की उम्मीद कर रहे हैं। यह निफ्टी में उनकी अपेक्षित या इम्प्लायड वोलैटिलिटी है।
गौरलब है कि कल, 2 जून को 25 जून की एक्सपायरी वाले कॉन्ट्रैक्ट में निफ्टी में 10,100 के स्ट्राइक मूल्य के कॉल ऑप्शन की दैनिक वोलैटिलिटी 1.97% और इम्प्लायड वोलैटिलिटी 24.28% रही है, जबकि 9850 स्ट्राइक मूल्य के पुट ऑप्शन की दैनिक वोलैटिलिटी 1.97% और इम्प्लायड वोलैटिलिटी 30.84% गिनी गई है। इससे हम इनमें और इंडिया वीआईएक्स के आंकड़े की समानता व अंतर को समझ सकते हैं।
अगर इंडिया वीआईएक्स का आंकड़ा मान लीजिए 50 होता तो ट्रेडर की उम्मीद एक दिन निफ्टी में 3.16% ऊपर या नीचे होने की रहती है। वहीं, अगर वीआईएक्स 14 होता तो निफ्टी में ऊपर-नीचे जाने की अपेक्षा 0.89% ऊपर या नीचे जाने की होती। इंडिया वीआईएक्स का सबसे ज्यादा उपयोग ऑप्शन राइटर या विक्रेता करते हैं। वे इसका फायदा उठाकर ऐसे ही स्ट्राइक मूल्य के कॉल और पुट ऑप्शन बेचते हैं जिनमें एक्सपायरी पर ओटीएम या एटीएम हो जाने की संभावना ज्यादा होती है। वे अपने कॉल ऑप्शन का स्ट्राइक मूल्य एक्सपायरी पर निफ्टी के बाज़ार भाव से ज्यादा या बराबर रखेंगे, जबकि पुट ऑप्शन का स्ट्राइक मूल्य एक्सपायरी पर निफ्टी के बाज़ार भाव से कम या बराबर रखेंगे ताकि इन ऑप्शंस को खरीदने वाले का प्रीमियम डूब जाए। इससे वे अपनी प्रीमियम आय सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं।
इंडिया वीआईएक्स की पूरी धारणा और गणना आप एनएसई की वेबसाइट पर जाकर समझ सकते हैं। हम भी किसी दिन समझकर भविष्य में उसे आप तक ज़रूर पहुंचाएंगे।