जो लोग नौकरियां छोड़ने के बाद पीएफ का पैसा पुराने संस्थान में ही पड़े रहने देते हैं इस भरोसे में कि उस पर एफडी से ज्यादा ब्याज तो बराबर मिलता ही रहेगा, उन्हें थोड़ा सावधान होने की जरूरत है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड ने तय किया है कि अगर किसी पीएफ खाते में तीन साल तक कोई नई रकम जमा नहीं होती तो उस पर ब्याज देना बंद कर दिया जाएगा। यह फैसला 1 अप्रैल 2011 से लागू कर दिया जाएगा।
यह फैसला बुधवार को केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीडी) की नई दिल्ली में हुई बैठक में लिया गया। इस समय पीएफ के करीब तीन करोड़ खाते निष्क्रिय पड़े हुए हैं। कारण यह है कि जो लोग नौकरियां छोड़कर दूसरे संस्थानों में चले गए हैं, उनके पीएफ खातों में नियोक्ता या कर्मचारी दोनों का अंशदान आना बंद हो जाता है और ये खाते बस नंबर बनकर पड़े रहते हैं। बहुत से लोग इन खातों से रकम निकालने की जरूरत नहीं समझते और न ही तमाम कागजी पचड़ों के चलते उसे नए संस्थान से संबद्ध कराते हैं। वैसे, इधर ईपीएफओ ने कर्मचारियों को विशेष सामाजिक सुरक्षा नंबर देने का सिलसिला शुरू किया है। इसके लागू होने के बाद कर्मचारी जहां जाएगा, उसका पीएफ खाता खुद ब खुद उस संस्थान में ट्रांसफर हो जाएगा।
ईपीएफओ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड ने यह भी तय किया है कि चालू वित्त वर्ष 2010-11 के लिए पीएफ में जमाराशि पर 9.5 फीसदी ब्याज दिया जाएगा। इससे पहले सरकार ने पीएफ पर 9.5 फीसदी का ब्याज साल 2004-05 में दिया था। उसके बाद इस पर ब्याज की दर 8.5 फीसदी ही चल रही है। ईपीएफओ ने इस साल एक फीसदी ज्यादा ब्याज देने का फैसला अपनी ब्याज आय के सस्पेंस खाते में 1731.57 करोड़ रुपए निकलने के बाद किया है।
बोर्ड का मानना है कि यह रकम कर्मचारियों के हिस्से की है और इसे कर्मचारियों में बांट देना चाहिए। अभी ईपीएफओ में कुल लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपए जमा है। इस पर एक फीसदी अतिरिक्त ब्याज देने से 1700 करोड़ रुपए के आसपास निकलेंगे और इस तरह 1731.57 करोड़ रुपए के सस्पेंस खाते की रकम बराबर हो जाएगी। केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़के ने कल सीबीडी की बैठक के बाद बताया कि अब नए फैसले को वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा और पूरी उम्मीद है कि वह इसे मंजूरी दे देगा। बता दें कि इस समय संगठित क्षेत्र के करीब पांच करोड़ नौकरीपेशा लोगों को पीएफ का फायदा मिलता है। लेकिन कुल पीएफ खातों में से 80 फीसदी से ज्यादा ऐसे हैं जिनमें जमा रकम 30,000 रुपए से कम है।