कृषि व गैर-कृषि क्षेत्र का असंतुलन पड़ेगा भारी

कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र में आय सृजन के बीच एक तरह का संरचनागत या बुनावटी असंतुलन और बेमेल है जिस तत्काल दूर करना जरूरी है। यह मानना है कृषि राज्यमंत्री प्रो. के वी थॉमस का। उन्होंने बुधवार को प्रोसेस्ड फूड, एग्री बिजनेस व बेवरेजेज पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन की शुरुआत में कहा कि कृषि हमारे देश में 58 फीसदी से ज्यादा आबादी के लिए जीविका का मुख्य स्रोत है, लेकिन जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में इसका योगदान महज 18 फीसदी के आसपास है।

कृषि राज्यमंत्री ने अपनी तरफ से गिनाया कि कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार ने क्या-क्या योजनाएं चला रखी हैं। बताया कि 2004-05 से 2007-08 के दौरान कृषि में कुल निवेश 8 से 14.2 फीसदी सालाना की दर से बढ़ा है। इसमें से सार्वजनिक क्षेत्र का निवेश 17.6 से 22.5 फीसदी तक बढ़ा है। लेकिन आनेवाले सालों के दौरान कृषि में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के निवेश की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत है।

उन्होंने बताया कि पिछले पांच सालों में प्रमुख अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 49 से 78 फीसदी तक बढ़ाया गया है। इस बीच दालों और तिलहनों की एमएसपी तो 83 फीसदी तक बढ़ाया गया है। सरकार ने कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) की ज्यादातर सिफारिशें मानी हैं और कुछ मामलों में किसानों को अधिक दाम के साथ बोनस भी दिया है। उन्होंने कहा कि देश में कृषि उत्पादों के भंडारण व रखरखाव के लिए गोदामों और कोल्ड स्टोरों की श्रृंखला बनाने की जरूरत है।

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