हर गांव में बनाए जाएंगे दलहन के फाउंडेशन बीजों के लघु गोदाम। आधा एकड़ खेत के लिए बीज की आपूर्ति आधे दाम पर की जाएगी। सरकार की कोशिशें कामयाब हुईं तो आनेवाले सालों में रोटी के साथ दाल भी मयस्सर हो सकती है। देश में दाल की कमी और उसकी बढ़ती कीमतों से परेशान सरकार सारे विकल्पों को आजमाने में जुट गई है। इसके तहत पहले दलहन ग्राम और अब बीज ग्राम बसाने की योजना पर अमल शुरू कर दिया गया है।
दलहन खेती को लाभप्रद बनाने और प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को उनके गांव में ही अच्छे व उन्नत फाउंडेशन बीज मुहैया कराने की योजना है। योजना के तहत गांव के किसानों को ही लघु बीज गोदाम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। दलहन बीजों के भंडारण के लिए उन्हें उचित भाड़ा भी दिया जाएगा। किसानों को दलहन की वैज्ञानिक खेती का मुफ्त प्रशिक्षण देने की भी योजना है। यह योजना राज्यों के कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालय और राज्य बीज निगम के साझा प्रयास से संचालित की जाएगी।
योजना के तहत दलहन खेती के इच्छुक किसानों को प्रति आधा एकड़ खेत के लिए जरूरी फाउंडेशन बीजों की आपूर्ति 50 फीसदी के सब्सिडी मूल्य पर की जाएगी। यानी उसकी आधी कीमत ही किसान को देनी होगी। बाकी आधी कीमत सरकार की तरफ से दी जाएगी। पहले चरण में किसानों को प्रशिक्षित करने की योजना है,जिसमें 150 किसानों के समूह को प्रशिक्षण देने के लिए 15,000 रुपए का प्रावधान किया गया है।
दलहन बीजों के भंडारण के लिए जो किसान अपने स्तर पर गोदाम बनाकर बीजों की भंडारण करेंगे, उन्हें 1500 से 3000 रुपए का भाड़ा दिया जाएगा। यह भाड़ा 10 और 20 क्विंटल दलहन बीजों पर मिलेगा। अनुसूचित व अनुसूचित जनजाति के किसानों को देय भाड़े की राशि सामान्य वर्ग के किसानों के मुकाबले अधिक होगी।