किसी से इतना मत जुड़ो कि लगे कि उसके बिना जी नहीं सकते। लेकिन इतना दूर भी न रहो कि लगे कि निपट अकेले हो गए हो। दुनिया तो किसी न किसी के साथ ही कटती है। लेकिन मुक्ति अकेले में मिलती है।
2010-08-30
किसी से इतना मत जुड़ो कि लगे कि उसके बिना जी नहीं सकते। लेकिन इतना दूर भी न रहो कि लगे कि निपट अकेले हो गए हो। दुनिया तो किसी न किसी के साथ ही कटती है। लेकिन मुक्ति अकेले में मिलती है।
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यही साम्य तो कठिन है।