रिजर्व बैंक द्वारा रेपो में चौथाई और रिवर्स रेपो में आधा फीसदी वृद्धि करने के बावजूद अक्टूबर से पहले होम या ऑटो लोन पर ब्याज दरें बढ़ने की उम्मीद नहीं है। यह कहना है ज्यादातर बैंकरों का। उनका मानना है कि मौद्रिक नीति के उपायों से ब्याज पर दबाव जरूर बढ़ जाएगा, लेकिन अक्टूबर से कर्ज की मांग बढ़ने पर ही वे इसकी दरें बढ़ाने की स्थिति में होंगे।
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक (सीएमडी) ओपी भट्ट का कहना है कि हाल-फिलहाल ब्याज दरों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कुछ बैंक डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज जरूर दे सकते हैं। लेकिन अभी चल रही जुलाई-सितंबर तक की दूसरी तिमाही में मोटे तौर पर ब्याज दरें नहीं बढ़ेंगी। वैसे भी कर्ज पर ब्याज बढ़ाने का फैसला हर बैंक अपनी आस्तियों-देनदारियों की स्थिति को देखते हुए करेगा। केनरा बैंक के सीएमडी एसी महाजन भी अक्टूबर से पहले ब्याज दरों में वृद्धि के कोई आसार नहीं देखते।
निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ व प्रबंध निदेशक चंदा कोचर का कहना है कि ब्याज दरें सिर्फ नीतिगत उपायों पर नहीं, तरलता की स्थिति पर भी निर्भर होती हैं। अभी सिस्टम से अतिरिक्त तरलता सूख चुकी है। इसके चलते थोक जमा की मांग बढ़ गई है और उस पर ब्याज दरें बढ़ने लगी हैं। लेकिन हाल-फिलहाल कर्ज पर ब्याज बढ़ने की उम्मीद नहीं है।
निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी का कहना है कि वे ब्याज दरों में वृद्धि का पक्का रुझान देखते हैं। लेकिन यह वृद्धि कब होगी, इसका ठीक-ठीक समय नहीं बताया जा सकता। यूनियन बैंक के सीएमडी एमवी नायर ने कहा कि इस तिमाही में कर्ज प्रवाह निश्चित रूप से बढ़ेगा। लेकिन चिंता की बात तरलता की स्थिति है। इस समय बैंकों की जमा में वृद्धि की दर उम्मीद से काफी कम चल रही है।