सुबह लिखते समय हमें भी इतनी उम्मीद नहीं थी। लेकिन दोपहर के करीब 1 बजे थे और ऋद्धि सिद्धि ग्लूको बिऑल्स का शेयर 20 फीसदी बढ़कर जैसे ही 338.75 रुपए पर पहुंचा, उस पर सर्किट ब्रेकर लग गया और इसमें बाकी दिन के लिए कारोबार रुक गया। लेकिन तब तक उसमें 6.34 लाख शेयरों की ट्रेडिंग हो चुकी थी, जबकि पिछले दो हफ्तों का औसत कारोबार 90,000 शेयरों का ही रहा है। ऐसा क्या हो गया तो शेयर में इतना उछाल आ गया? नतीजे तो उसने कल 22 जुलाई को घोषित किए थे, जो वाकई शानदार थे।
कंपनी की बिक्री जून की पहली तिमाही में पिछले साल की समान अवधि के 158.70 करोड़ से 31.78 फीसदी बढ़कर 209.14 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। लेकिन इसी दौरान शुद्ध लाभ 5.14 करोड़ से 506.07 फीसदी यानी पांच गुना बढ़कर 31.17 करोड़ रुपए हो गया। इन नतीजों का असर तो कल ही दिखना चाहिए था। आज ऐसा नया क्या था? इसी खास वजह रही बाजार में चल रही वह चर्चा, जिसे आज बाजार खुलने से पहले अर्थकाम ने प्रकाशित किया था।
लेकिन इस ‘चमत्कार’ पर न तो ज्यादा चहकने की वजह है और न ही बढ़ने की आस में खरीद बढ़ा देने की। हां, इससे जरूर यह सीखना चाहिए कि संवेदनशील खबरें शेयर के भाव को कैसे प्रभावित कर देती हैं। अब इसमें थोड़ा रुककर ही निवेश करना चाहिए। असल में इसमें ऑपरेटर सक्रिय हो गए हैं। इसका एक संकेत इस बात से मिलता है कि शुक्रवार को ट्रेड हुए 6,34,297 शेयरों में से 3,34,945 शेयर (52.81 फीसदी) डिवीलरी के लिए थे। जाहिर-सी बात है कि वे इसे बटोर कर रख रहे हैं ताकि बाद में बेचकर मुनाफा बटोर सकें। लेकिन जिन आम निवेशकों से इसे पहले ले रखा हो, उन्हें अभी से बेचकर निकल जाना चाहिए।
वैसे, जैसा कि हम पहले बचा चुके हैं कि यह देश में स्टार्च और उस पर आधारित उत्पाद बनानेवाली सबसे बड़ी कंपनी है। इसमें फ्रांस की बहुराष्ट्रीय कंपनी रोके फ्रेरे (Roquette Freres) ने 14.9 फीसदी रणनीतिक निवेश कर रखा है। अब फ्रांसीसी कंपनी इसे पूरी तरह खरीदने की कोशिश में है और वह 25 फीसदी न्यूनतम शेयरधारिता का नया टेकओवर कोड लागू होने से पहले वह अपने मकसद को अंजाम दे देना चाहती है।