केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय जल्द ही गंगा ज्ञान केंद्र की स्थापना करने जा रहा है। इस केंद्र में दुनिया की सबसे बड़ी नदी की सफाई के काम से लेकर योजनाओं और नीतियों के बारे में तमाम जानकारी मौजूद रहेगी। मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजीव गाउबा के मुताबिक इस ज्ञान केंद्र में एक ही स्थान पर प्रदूषण की स्थिति, गंदे पानी के शोधन संयंत्र और गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने की भविष्य की नीतियों के बारे में सारी जानकारी नि:शुल्क दी जाएगी। उन्होंने बताया कि हम इसके गठन की प्रक्रिया में हैं, हालांकि इस केंद्र की जगह अभी तय की जानी बाकी है।
इस केंद्र की स्थापना राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण के उद्देश्यों में से एक है। इस प्राधिकरण की स्थापना 20 फरवरी 2009 को हुई थी और इसकी पहली बैठक 5 नवंबर 2009 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई थी। इसका मकसद गंगा को 2020 तक पूरी तरह स्वच्छ बनाना है। पूरी परियोजना पर अगले दस सालों में 15,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। आपको मालूम ही होगा कि 2510 किलोमीटर लंबी गंगा नदी उत्तराखंड में मध्य हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में सुंदरबन डेल्टा में जाकर समुद्र से मिल जाती है।
संयुक्त सचिव ने कहा कि हम गंगा ज्ञान केंद्र सहित प्राधिकरण की केंद्र व राज्य स्तरीय परिचालन इकाइयों की स्थापना और उनके कामकाज के लिए प्रमुख सलाहकारों की मदद ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि गंगा ज्ञान केंद्र एक भंडार गृह की तरह होगा जहां गंगा नदी के घाटों के स्थाई विकास, जांच, प्रदूषण स्तर, उसके सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक पहलुओं से जुड़ी सभी अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं के बारे में जानकारी व शोध सामग्री उपलब्ध रहेगी।