केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती या टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) के सर्टिफिकेट से लेकर उसके जमा करने के तरीके और निर्धारित तारीखों में बदलाव कर दिया है। ये बदलाव चालू वित्त वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल 2010 के बाद से लागू किए गए हैं। एक अहम बदलाव तो यह है कि पहले जहां वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में काटे गए टीडीएस का रिटर्न 15 जून तक देना होता था, वहीं अब इसे 15 मई तक ही पेश कर देना होगा। इसका सीधा-सा मतलब यह है कि नौकरीपेशा लोगों को अपने दफ्तर से अब टीडीएस सर्टिफिकेट एक महीने पहले मिल जाया करेगा। लेकिन इस साल तो उन्हें पहले की तरह इंतजार करना होगा क्योंकि यह नियम चालू वित्त वर्ष से ही लागू हुआ है।
नए नियमों के मुताबिक 30 जून को खत्म पहली तिमाही का टीडीएस रिटर्न 15 जुलाई, 30 सितंबर को खत्म दूसरी तिमाही का टीडीएस रिटर्न 15 अक्टूबर, 31 दिसंबर को खत्म तीसरी तिमाही का टीडीएस रिटर्न 15 जनवरी और 31 मार्च को खत्म चौथी तिमाही का टीडीएस रिटर्न 15 मई तक भर देना होगा। इसी के साथ तय किया गया है कि जो भी वेतनभोगी कर्मचारी हैं, उन्हें अपने नियोक्ता से टीडीएस सर्टिफिकेट (फॉर्म-16) हर हाल में 31 मई तक मिल जाना चाहिए। बाकी जिन्हें टीडीएस का फॉर्म 16-ए मिलता है, उन्हें यह सर्टिफिकेट हर तिमाही पर टीडीएस स्टेटमेंट दाखिल करने के 15 दिन के भीतर मिल जाना चाहिए।
सीबीडीटी ने दूसरा बड़ा बदलाव यह किया है कि अभी तक टीडीएस सर्टिफिकेट में नियोक्ता या टैक्स काटनेवाले का टैक्स डिडक्शन एकाउंट नंबर (टैन) और कर देनेवाले का परमानेंट एकाउंट नंबर (पैन) ही होता था। लेकिन अब उसने टीडीएस दाखिल करने का रसीद नंबर भी देना होगा। यही वह यूनीक आइडेंटीफिकेशन नंबर होगा जिसके आधार पर करदाता अपना आयकर रिटर्न भरते समय टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकता है।
अभी तक स्रोत पर काटे गए टैक्स को केंद्र सरकार के खाते में डालनेवाले सरकारी अधिकारी इसकी केवल बुक एंट्री कर देते थे। लेकिन अब उन्हें बाकायदा एक नए फॉर्म नंबर 24जी में टीडीएस क्रेडिट का पूरा ब्योरा हर महीने इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरना होगा और उसे डायरेक्टर जनरल ऑफ इनकम-टैक्स (सिस्टम्स) को भेजना होगा। सीबीडीटी ने टीडीएस संबंधी नियमों में इस बदलाव की अधिसूचना 31 मई 2010 को जारी की है। लेकिन इसे सार्वजनिक बुधवार 2 जून 2010 को किया गया है।