अगर वित्त वर्ष 2013-14 के बजट प्रावधानों को सरसरी निगाह से भी देखा जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि यह बजट देश के लोगों या आम मतदाताओं को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि विदेशी निवेशकों और रेटिंग एजेंसियों को लुभाने के लिए लाया गया है। प्रमुख रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ने कई महीनों से दबाव बना रखा था कि अगर सरकार ने अपने वित्तीय प्रबंधन को दुरुस्त नहीं किया तो वह भारत की रेटिंग घटा देगी। लेकिन गुरुवार को बजट पेश होने के बाद सिंगापुर से जारी बयान में एस एंड पी ने कहा है, “भारत के बजट में 2013-14 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 4.8 फीसदी रखा गया है। यह 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप है। इसलिए इस बजट के बाद भारत की संप्रभु रेटिंग को BBB-/Negative/A-3 पर कायम रखा जाएगा।”
रेटिंग एजेंसी ने इस बात पर भी खुशी जताई है कि 31 मार्च 2013 को खत्म हो रहे चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए राजकोषीय घाटे का संशोधित अनुमान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 5.2 फीसदी है, जबकि शुरुआती अंदेशा इससे ज्यादा 5.3 फीसदी का था। सरकार ने घाटे में कमी अपने खर्चों में कटौती से हासिल की है। साथ ही आर्थिक सुधारों की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए गए हैं। इसमें लाभार्थियों को सीधे कैश ट्रांसफर से लेकर डीजल पर सब्सिडी घटाना शामिल है।
मालूम हो कि चालू वित्त वर्ष 2012-13 में राजकोषीय घाटे का बजट अनुमान 5,13,590 करोड़ रुपए का था जो जीडीपी का 5.1 फीसदी बैठता था। लेकिन इसका संशोधित अनुमान 5,20,925 करोड़ रुपए का है। वह भी तब, जब जीडीपी की विकास दर अपेक्षा से काफी कम रही है। दिसंबर तिमाही में तो यह महज 4.5 फीसदी रही है। ऐसे हालात में चिदंबरम ने अगर राजकोषीय घाटे को कम दिखाया है तो इसे करामात से कम नहीं माना जा रहा है।
नए वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का बजट अनुमान 5,42,499 करोड़ रुपए का है। यह अनुमानित जीडीपी का 4.8 फीसदी है। नए साल में सरकार बाजार से 4.84 लाख करोड़ रुपए का ऋण जुटाएगी। इसमें 50,000 करोड़ रुपए बांडों के बायबैक को जोड़ दिया जाए तो कुल बाजार उधारी 5.34 लाख करोड़ रुपए की बैठती है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल का कहना है कि इसे जुटाने में न तो कोई मुश्किल होगी और न ही बाजार पर इसका कोई नकारात्मक असर पड़ेगा। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने बाजार से 5.7 लाख लाख करोड़ रुपए का उधार जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन उसका काम केवल 4.7 लाख करोड़ में ही चल गया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के पास इस समय एक लाख करोड़ रुपए का कैश बैलेंस है, जबकि पिछले साल इसी समय यह बैलेंस केवल 5000 करोड़ रुपए का था।
चिदंबरम ने अपने बजट भाषण में जोर देकर बताया कि चालू खाते के घाटे (सीएडी) को भरने के लिए विदेशी निवेश को खींचना क्यों जरूरी है। इसके लिए उन्होंने एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) को कई सहूलियतें दी है। सबसे अहम कदम है एफआईआई और एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के भेद को बहुत हद तक मिटा देना। उन्होंने कहा कि अगर किसी कंपनी में विदेशी निवेशक का निवेश 10 फीसदी से कम है तो उसे एफआईआई माना जाएगा और 10 फीसदी से ज्यादा है तो एफडीआई। सलाहकार फर्म केपीएमजी का मानना है कि यह बेहद सकारात्मक कदम है। इससे विदेशी निवेश को खींचने में काफी ज्यादा मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री ने विवादास्पद गार (जनरल एंटी एवॉयडेंस रूल) को लागू करने की तिथि आगे बढ़ाकर अप्रैल 2016 कर दी है। इससे भी विदेशी निवेशक चहक रहे हैं। लेकिन टैक्स रेजिडेंसी सर्टिफिकेट (टीआरसी) को अनिवार्य बनाने से विदेशी निवेशक थोड़े दुखी हैं। मॉरीशस के साथ दोहरी कराधान निवारण संधि को लेकर भी शंकाएं हैं। इसीलिए गुरुवार को एफआईआई ने शेयर बाजार में शुद्ध रूप से 1317 करोड़ रुपए की बिकवाली की है, जबकि डीआईआई या घरेलू निवेशकों की शुद्ध खरीद 417.94 करोड़ रुपए की रही है। शेयर बाजार के धराशाई होने की प्रमुख वजह एफआईआई की बिकवाली रही है।