सरकार रक्षा उद्योग में संयुक्त उद्यम परियोजनाओं और लघु व मझोले उद्यमों (एसएमई) की भागीदारी को बढ़ावा देगी। गुरुवार को नई दिल्ली में डेफएक्स्पो इंडिया-2012 के उद्घाटन के अवसर पर रक्षा राज्यमंत्री डॉ. एम एम पल्लम राजू ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार रक्षा उद्योग क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रही है और इस बात के लिए भी प्रतिबद्ध है कि सशस्त्र सेनाएं नवीनतम उपकरणों और हथियारों से लैस हों।
राज्यमंत्री का यह बयान सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह की शिकायत के संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि हमारी सशस्त्र सेनाएं सामरिक स्तर पर पूरी तरह तैयार नहीं हैं। श्री राजू ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सामरिक और आर्थिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पिछले वर्ष घोषित रक्षा उत्पादन नीति के अनुसार हमारा उद्देश्य रक्षा उत्पादन में उपकरणों, सशस्त्र प्रणालियों और प्लेटफार्मों के डिजाइन, विकास और उत्पादन में यथासम्भव जल्द से जल्द आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है। सरकार इस क्षेत्र में देश में निर्मित उपकरणों और हथियारों को बढ़ावा देना चाहती है।
सरकार चाहती है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में जो भी क्षमता, इंफ्रास्ट्रक्चर व संसाधन उपलब्ध हैं, उनका रक्षा तैयारियों में आत्मनिर्भरता के लिए पूरा उपयोग किया जाना चाहिए। सरकार एसएमई को अधिक से अधिक सहायता भी देना चाहती है, ताकि रक्षा उत्पादन में उनकी भागीदारी बढ़े।
रक्षा राज्यमंत्री ने कहा सरकार रक्षा खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर इसकी समीक्षा करती रहती है। इस नीति में ‘खरीदो और देश में निर्माण करो’ का पहलू जोड़ा गया है। इससे विदेशी कम्पनियों और भारतीय कम्पनियों के बीच संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा और रक्षा उत्पादन क्षेत्र के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी मिल सकेगी।
श्री राजू ने कहा कि सरकार सशस्त्र सेनाओं के साथ दीर्घकालिक आवश्यकताओं से संबंधित योजना को अंतिम रूपदेने में लगी हुई है। अगले 15 वर्षों की इस योजना के प्रकाशित हो जाने के बाद घरेलू उद्योगों को रक्षा क्षेत्र में निवेश की योजना बनाने, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने, प्रौद्योगिकी के उन्नयन और विदेशी कम्पनियों के साथ संयुक्त परियोजनाएं शुरू करने के बारे में काफी सहायता मिलेगी।