सरकारी तेल कंपनियां इस हफ्ते शनिवार, 3 मार्च को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों का सातवां व आखिरी दौर खत्म होते ही पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ा सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक जहां पेट्रोल के दाम प्रति लीटर 4 रुपए बढ़ाए जा सकते हैं, वहीं डीजल के दाम में भी कम से कम 2 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि हो सकती है। इससे पहले कंपनियों ने 1 दिसंबर 2011 को पेट्रोल के दाम बदले थे।
बता दें कि सरकार जून 2010 से ही पेट्रोल के मूल्यों से नियंत्रण हटा चुकी है। वह इस पर कोई सब्सिडी भी नहीं देती। तेल मार्केटिंग कंपनियां – इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम व हिंदुस्तान पेट्रोलियम अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों के आधार पर पेट्रोल के दाम घटाती-बढ़ाती रहती हैं। भारत पेट्रोलियम के एक अधिकारी के मुताबिक पिछली बार 1 दिसंबर को जब पेट्रोल का दाम तय किया गया था, तब कच्चे तेल का अंतरराष्ट्रीय दाम 109 डॉलर प्रति बैरल था, जबकि अब यह 125 डॉलर के आसपास चल रहा है।
वैसे, पेट्रोलियम मंत्रालय की ताजा सूचना के मुताबिक 24 फरवरी को खत्म पखवाड़े में भारत में आयातित कच्चे तेल की लागत 123.11 डॉलर प्रति बैरल (6041.01 रुपए प्रति बैरल) रही है। इसके आधार पर तेल मार्केटिंग कंपनियों की अंडर-रिकवरी डीजल पर प्रति लीटर 10.94 रुपए, कैरोसिन पर 28.77 रुपए प्रति लीटर और एलपीजी पर 378 रुपए प्रति सिलेंडर हैं। मंत्रालय का कहना है कि इन पेट्रोलियम उत्पादों को कम दाम पर बेचने के कारण तेल कंपनियों को 465 रुपए प्रतिदिन की अंडर-रिकवरी झेलनी पड़ रही है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर 2011 तक के नौ महीनों में तेल कंपनियों की कुल अंडर-रिकवरी 97,313 करोड़ रुपए रही है।
नोट करने की बात यह है कि सैद्धांतिक रूप से सरकार डीजल के मूल्यों से भी अपना नियंत्रण हटा चुकी है। लेकिन राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील मसला होने के कारण वो इस पर अमल नहीं कर पा रही। मंत्रियों का अधिकारप्राप्त समूह ही इसके दाम बढ़ाने का फैसला करता है। सूत्रों के मुताबिक डीजल के दाम कम से कम दो रुपए बढ़ाए जा सकते हैं।