एसआरएफ लिमिटेड भारतीय कॉरपोरेट जगत के मशहूर नाम भरतराम से जुड़े दिल्ली के डीसीएम समूह से ताल्लुक रखती है। करीब चार दशकों से केमिकल्स, इंजीनियरिंग प्लास्टिक, पैकेजिंग फिल्म और टेक्निकल टेक्सटाइल्स के धंधे में सक्रिय है। टेक्निकल टेक्सटाइल्स में टायर कॉर्ड, बेल्टिंग फैब्रिक, कोटेड फैब्रिक, लैमिनेटेड फैब्रिक व औद्योगिक यार्न बनाती है तो केमिकल्स में वह फ्लूरो केमिकल्स व फ्लूरो स्पेशयलिटीज बनाती है जो रेफ्रिजरेशन में इस्तेमाल होते हैं।
कंपनी के उत्पादन संयंत्रों का जाल हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश व तमिलनाडु तक फैला है। वह गुजरात के दहेज में भी नया केमिकल संयंत्र लगा रही है। यही नहीं, उसकी उत्पादन इकाइयां दुबई, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड व बांग्लादेश तक में हैं। पिछले साल फोर्ब्स एशिया ने उसे एशिया-प्रशांत में एक अरब डॉलर से कम कारोबार वाली सर्वश्रेष्ठ 200 कंपनियों में शुमार किया था। थोड़े में कहें तो इस कंपनी की जमीन पुख्ता है, आधार विस्तृत है और संभावनाएं व्यापक हैं।
कंपनी ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में 3063.28 करोड़ रुपए की बिक्री पर 483.44 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। दस दिन पहले 13 फरवरी को कंपनी ने दिसंबर 2011 की तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। पता चला कि इस दौरान उसकी बिक्री तो 14.66 फीसदी बढ़कर 946.29 करोड़ रुपए हो गई, लेकिन शुद्ध लाभ 35.42 फीसदी घटकर 110.55 करोड़ रुपए पर आ गया। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में इससे पहले सितंबर तिमाही में भी उसका शुद्ध लाभ 11.84 फीसदी घटा था। हालांकि जून तिमाही में उसके शुद्ध लाभ में 51.17 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई थी।
खास बात यह है कि नतीजों की घोषणा के दिन 251.35 रुपए तक गिर गया इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल 22 फरवरी को ऊपर में 304.45 रुपए तक चला गया। हालांकि बंद हुआ बीएसई (कोड – 503806) में 293.05 रुपए और एनएसई (कोड – SRF) में 293.20 रुपए। दस दिन में करीब 20 फीसदी की यह पेंग मायने रखती है। असल में इसी दरम्यान कंपनी ने घोषित किया है कि पिछले साल 6 अप्रैल 2011 से शुरू किया गया बायबैक प्रस्ताव उसने इस साल 15 फरवरी 2012 को पूरा कर लिया।
शुरुआती घोषणा में कहा गया था कि बायबैक पर कंपनी अधिकतम 90 करोड़ रुपए खर्च करेगी और प्रति शेयर अधिकतम मूल्य 380 रुपए दिया जाएगा। लेकिन बाजार के दबे रहने के कारण कंपनी की प्रति शेयर वापस खरीद 291.89 रुपए के औसत मूल्य पर हुई है और उसने अपने 30.83 लाख शेयर 89.99 करोड़ रुपए में बायबैक कर लिये हैं। इस बायबैक के बाद कंपनी की चुकता पूंजी या इक्विटी 60.50 करोड़ रुपए से घटकर 57.42 करोड़ रुपए पर आ गई है। इक्विटी घटने से कंपनी का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) बढ़ जाएगा। इसी हिसाब से उनका मूल्य भी बढ़ जाना चाहिए।
दिसंबर तक के बारह महीनों में घटी हुई इक्विटी के आधार पर उसका ईपीएस फिलहाल 76.01 रुपए निकलता है। इस तरह 293 रुपए के मौजूदा भाव पर उसका शेयर मात्र 3.85 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू ही 266.25 रुपए है। कंपनी बराबर लाभांश देती रही है। इस मिड कैप कंपनी का बाजार पूंजीकरण 1779 करोड़ रुपए है, जबकि उसकी बिक्री ही इसकी 1.72 गुना है। निश्चित रूप से इस कंपनी में निवेश का योग बनता है।
बता दें कि हमने इस कंपनी के बारे में नौ महीने 19 मई 2011 को भी इस कॉलम में लिखा था। तब उसका शेयर 309.50 रुपए और 3.87 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था। उम्मीद थी कि यह शेयर 400 रुपए तक चला जाएगा क्योंकि बायबैक प्रस्ताव ही 380 रुपए का था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर भी इसमें निराश होने की जरूरत नहीं है। हमने तब भी दूर की सोच के निवेशकों को इसे लेने की सलाह दी थी और अब भी हमारा मानना है कि इसे कम से कम पांच साल के लिए ले लेना चाहिए। यह स्टॉक आपकी पूंजी को दोगुना करने की सामर्थ्य रखता है।