एक चक्र है जो अनवरत चलता रहता है। समय की घड़ी में कोई चाभी भरने की जरूरत नहीं। न ही उसमें नई बैटरी लगानी पड़ती है। समय के साथ हर चीज परिपक्व होती है। पेड़-पौधों से लेकर इंसान और ज्ञान व परंपरा तक। अप्रैल में इस कॉलम को दो साल पूरे हो जाएंगे। नहीं पता कि यहां दिया जा रहा ‘अर्थ’ आपके कितने ‘काम’ का बन पाया है। इसे तो आप ही बेहतर बता सकते हैं। हां, मैं इतना जरूर जानता हूं कि पूंजी बाजार के बारे में मेरी समझ इस दौरान पहले से कहीं बेहतर हो गई है। आइए देखते हैं कि पिछले दिनो हमने जहां-तहां डूबकर आपके लिए क्या कुछ निकालकर पेश किया…
- इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि जब-जब ब्याज दरों में कटौती हुई है, बैंकों के शेयर पूरे बाजार की तुलना में ज्यादा बढ़े हैं। साल 2002 में रिजर्व बैंक ने रेपो दर एक फीसदी घटाई थी तो बीएसई बैंकेक्स 34.28 फीसदी बढ़ गया, जबकि सेंसेक्स 3.52 फीसदी ही बढ़ा था। 2004 में बैंकेक्स 32.97 फीसदी बढ़ा, जबकि सेंसेक्स 13.08 फीसदी। 2009 में लेहमान संकट का वास्ता जबकि बैंकिंग सेक्टर ही था। फिर भी रेपो दर में 2.75 फीसदी की कमी के बाद बीएसई बैंकेक्स ने सेंसेक्स की तुलना में ज्यादा बढ़त हासिल की। अब एक बार फिर रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करने जा रहा है।
- शेयर बाजार किसी भी आस्ति वर्ग से ज्यादा रिटर्न देनेवाला माध्यम है। यहां निवेश करने के दो ही रास्ते हैं। एक, अपनी रिसर्च के दम पर सीधे शेयरों को चुनकर निवेश करना और दो, म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करना। अगर आप अपनी रिसर्च नहीं कर सकते तो आपके लिए एकमात्र रास्ता म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों का है। वैसे, अपने स्तर पर रिसर्च मुश्किल नहीं है। हम इस कॉलम के जरिए यही साबित करने और सिखाने की कोशिश कर रहे हैं। इंटरनेट के इस दौर में इतनी जानकारियां सहजता से उपलब्ध हैं कि किसी की टिप्स के चक्कर में भटकने की जरूरत नहीं है। टिप्स जैसी कोई चीज नहीं होती। अगर टिप्स में बताई गई ‘खबर’ सच भी हो तो नीचे तक पहुंचने से पहले उसे पूरी तरह निचोड़ा जा चुका होता है। रस से भरा गन्ना तब तक खोइया बन चुका होता है।
- शेयर बाजार में भले ही छोटे समय में ऑपरेटरों और उस्तादों की चलती हो, लेकिन लंबे समय में हमेशा निवेशकों की ही चलती है। बस जरूरत है तो मजबूत व संभावनामय कंपनियों के चयन की। और, बाजार में ऐसी कंपनियों की कोई कमी नहीं है। एक ताजा अध्ययन में बाजार में लिस्टेड ऐसी 500 कंपनियों की सूची पेश की गई है, जिन्होंने पिछले दस सालों (नवंबर 2001 से लेकर नवंबर 2011) में निवेशकों को लाभांश व शेयरों के भाव में वृद्धि को मिलाकर 22 फीसदी से लेकर 113 फीसदी का सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न दिया है। हम आपको इस चयन में मदद करने की कोशिश करते हैं। हल्की-फुल्की नहीं, बल्कि मूलभूत तौर पर मजबूत कंपनी पेश करते हैं। लेकिन यह निवेश की कोई सिफारिश नहीं, बल्कि एक अतिरिक्त इनपुट है जो आपको फैसला लेने में मदद कर सकता है।
- प्रकाश की गति से भी तेज कोई गति निकल आए तो शायद भविष्य को पहले से देख लेना संभव हो जाए। लेकिन अभी तो भविष्य को लेकर सारी ‘वाणियां’ मूलतः कयासबाजी हैं। फिर भी शेयर बाजार भविष्य को समेटकर चलता है तो बड़ी उहापोह है कि यहां किसकी ‘वाणी’ को सही माना जाए?
मेरा तो यही कहना है कि किसी की वाणी भरोसे के काबिल नहीं है। सबको देखभाल कर खुद फैसला किया। इसमें अर्थकाम आपकी ईमानदार मदद करने की कोशिश में लगा है। फ्यूचर कैपिटल होल्डिंग्स के बारे में हमने 16 जनवरी की सुबह लिखा था, “इसमें छोटी अवधि के लिए चाहें तो निवेश कर सकते। कुछ जानकार कई महीने से बता रहे हैं कि यह 152-153 रुपए तक आसानी से जा सकता है।” तब यह 122.80 रुपए पर था। कल 20 जनवरी को बीएसई में 145.15 रुपए पर बंद हुआ है। चार दिन में 18.20 फीसदी की बढ़त! इससे हफ्ते पहले हमने जीएमआर इंफ्रा से बारे में लिखा था। तब वह 22.70 रुपए पर था। 13 जनवरी को यह 29.70 रुपए तक जाने के बाद कल 20 जनवरी को 27.30 रुपए पर बंद हुआ है। करीब दो हफ्ते में 20.26 फीसदी की बढ़त!! लेकिन ध्यान रखें, “यहां कुछ भी अकारण नहीं होता। जो कुछ भी होता है, उसके पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है। यह हमारी ही सीमा है कि हम उस कारण को देख नहीं पाते।”