इंजीनियर्स इंडिया। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी जिसमें भारत सरकार की हिस्सेदारी 80.40 फीसदी है। पिछला एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) सवा साल भर पहले जुलाई 2010 में आया था। अगला एफपीओ भी देर-सबेर आएगा क्योंकि सरकार की हिस्सेदारी को घटाकर 75 फीसदी तक लाना जरूरी है। लेकिन अच्छी कंपनी के शेयर सस्ते में पाने की तमन्ना में उस्ताद लोग तब तक सरकारी कंपनियों के स्टॉक को दबाकर रखते हैं जब तक उनमें पब्लिक इश्यू की गुंजाइश बची रहती है।
यही वजह है कि जुलाई 2010 में एफपीओ में 290 रुपए पर जारी किए गए कंपनी के शेयर अभी 240 रुपए पर डोल रहे हैं। नए शेयरों की लिस्टिंग के बाद इसे 12 नवंबर 2010 को उठाकर 353.95 रुपए तक ले जाया गया। तब भाई लोग चार महीने में 20-22 फीसदी का मुनाफा पीटकर निकल लिए होंगे। तब से मामला ठंडा है। अभी पिछले महीने 25 अक्टूबर 2011 को इसने 231.05 रुपए पर 52 हफ्तों की तलहटी पकड़ ली। वह भी तब, जब उसी दिन कंपनी ने सितंबर 2011 की तिमाही के नतीजे घोषित किए थे। इनके मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी की बिक्री 39.39 फीसदी बढ़कर 827.42 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 22.26 फीसदी बढ़कर 146.64 करोड़ रुपए हो गया है।
न तो इन नतीजों और न ही कंपनी के साथ जुड़े किसी और विकासक्रम में कोई गड़बड़ी थी जो इसके शेयर को ठोंककर बैठा दिया जाता। लेकिन जब देश में सर्वशक्तिमान सरकार की कंपनी के साथ बेधड़क ऐसा हो रहा है तो यही मानना पड़ेगा कि हमारे बाजार पर सच्चे निवेशकों का नहीं, ऑपरेटरों का ही बोलबाला है। पर, भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने के साथ लंबे समय तक ऐसा नहीं चलेगा। इसलिए लंबे समय के निवेशकों के लिए यह अच्छा मौका भी है। इंजीनियर्स इंडिया का शेयर फिलहाल अपने न्यूनतम स्तर से ज्यादा दूर नहीं गया है। उसका पांच रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई (कोड – 532178) में 239.60 रुपए और एनएसई (कोड – ENGINERSIN) में 240.25 रुपए पर बंद हुआ है।
यह केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत काम करनेवाली 1965 में बनी सरकारी कंपनी है। नाम के अनुरूप इंजीनियरिंग व कंस्ट्रक्शन का काम करती है। पेट्रोलियम रिफाइनिंग, पेट्रोरसासन, पाइपलाइन, खनन व इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे विविध उद्योगों को अपनी सेवाएं देती हैं। फंडामेंटल स्तर पर बड़ी पुख्ता कंपनी है। ब्रोकरेज फर्म एडेलवाइस के डाटाबैंक के अनुसार पिछले तीन सालों में इंजीनियर्स इंडिया की बिक्री 55.77 फीसदी और शुद्ध लाभ 38.59 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। नियोजित पूंजी पर उसका रिटर्न 60.70 फीसदी और इक्विटी पर रिटर्न 40.19 फीसदी है। यह पूरी तरह ऋण-मुक्त कंपनी है। सितंबर 2011 की तिमाही में परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 26.19 फीसदी और शुद्ध लाभ मार्जिन (ओपीएम) 17.72 फीसदी है।
कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 17.29 रुपए है। इस तरह उसका शेयर इस वक्त मात्र 13.86 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। जुलाई 2009 के 13.28 के बाद पहली बार कंपनी का शेयर इतने कम पी/ई पर आया है। बीच में जनवरी 2010 में यह ऊपर में 41.53 तक के पी/ई पर ट्रेड हो चुका है। इस लिहाज से आज की तारीख में भी इसमें 500 रुपए से ऊपर जाने का दमखम है। लेकिन मौजूदा बाजार शक्तियां चाहेंगी, तभी ऐसा होगा क्योंकि हमारे-आप जैसे आम निवेशक या तो बाजार में हैं नहीं या हैं भी तो बड़े खिलाड़ियों के आगे कहीं नहीं टिकते।
पब्लिक सेक्टर की इस कंपनी की कुल 168.47 करोड़ रुपए की इक्विटी में पब्लिक का हिस्सा मात्र 19.60 फीसदी है। इसमें से भी सितंबर 2011 तक की स्थिति के अनुसार एफआईआई के पास 5.23 फीसदी और डीआईआई के पास 7.94 फीसदी शेयर हैं। पिछली तीन तिमाहियों में एफआईआई ने कंपनी में अपना निवेश घटाया है, जबकि डीआईआई ने बढ़ाया है। मार्च 2011 की तिमाही तक कंपनी में एफआईआई का निवेश 6.58 फीसदी और डीआईआई का निवेश 7.19 फीसदी था। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 1,24,759 है। इसमें से 1,21,551 (97.42 फीसदी) छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के केवल 4.38 फीसदी शेयर हैं। इंजीयरिंग सेक्टर में निजी क्षेत्र की कंपनी बीजीआर एनर्जी सिस्टम्स (बीएसई – 532930, एनएसई – BGRENERGY) के शेयर भी इस समय सस्ते में उपलब्ध हैं। चाहें तो एक नजर डाल सकते हैं।