आएंगे नए बहाने बाजार को मथने के

कल बाजार का कुल कारोबार एकबारगी 35 फीसदी घट गया तो हर कोई अचकचा गया। एक ही सत्र की झलक देखकर बाजार के सभी खिलाड़ी शॉर्ट सेलिंग पर उतारू हो गए। खुद मैं भी इतना कम वोल्यूम देखकर गच्चा खा गया और मैंने लिख दिया कि निफ्टी नीचे में 5010 तक जा सकता है। आज बाजार गिरा भी जमकर। निफ्टी 1.55 फीसदी गिरकर 5068.50 पर बंद हुआ। हालांकि दिन में इससे भी नीचे 5052.85 तक चला गया था। लेकिन निफ्टी में भरपूर दम अब भी बाकी है।

अब तिमाही नतीजों का सिलसिला बीत चुका है। यहां से बाजार को उछल-कूद मचाने के लिए अब नए ट्रिगर, नए बहाने खोजने पड़ेंगे। दुनिया के बाजारों की कमजोरी यकीकन बड़ा कारक है। हम में से अधिकांश लोग इसे एकदम धार्मिक अंदाज में मानने लग गए हैं। दूसरी बात डाउनग्रेड और आर्थिक धीमापन है। यह बात अब व्यापक तौर पर स्वीकार कर ली गई है कि जीडीपी की विकास दर 7.7 फीसदी से नीचे रहेगी जिससे कंपनियों की लाभप्रदता को लेकर और डाउनग्रेड सामने आ सकते हैं।

गुरुवार को पेट्रोल के मूल्यों में कमी मुद्रास्फीति पर कोई बड़ा असर नहीं दिखाएगी क्योंकि कृषि जिंसों की मुद्रास्फीति सरकार के काबू से बाहर जा चुकी है। केवल कमोडिटी ट्रेडिंग पर बंदिश ही इसे काबू में ला सकती है। वे इसे जितनी समझ जाएं, उतना अच्छा होगा। ब्याज दरों को 13 बार बढ़ाने की सारी कवायत का कोई मतलब नहीं था। इसके बजाय उन्हें सप्लाई का बंदोबस्त दुरुस्त करना चाहिए था। हमने अगर ब्याज दरें न बढ़ाई होतीं तो हम निश्चित रूप से आर्थिक विकास व बाजार पूंजीकरण में दुनिया को मात दे चुके होते।

खैर, जो बीत गया सो बीत गया। बाजार ने एक बार फिर 5000 से 5400 का दायरा पकड़ लिया है। हमें एक बार फिर इसे तोड़ना पड़ेगा और ऐसा तभी हो सकता है कि निफ्टी 5400 के ऊपर पहुंच जाए। लेकिन इतना तय है कि अतिशय निराशा ने अगली तेजी के दौर की बुनियाद रखनी शुरू कर दी है। इसलिए बहुत ज्यादा हैरान-परेशान होने की कतई जरूरत नहीं है।

मैं एक बार फिर दोहराना चाहता हूं कि जो इस वक्त नया नहीं खरीद सकते, उन्हें कम से कम पुराना होल्ड करके रखना चाहिए। हां, हर किसी को वीआईपी इंडस्ट्रीज जैसे जोड़तोड़ के शिकार स्टॉक्स से बचना चाहिए और बेचकर निकल लेना चाहिए। किसी भी पोर्टफोलियो में इसकी कोई जगह नहीं है। यह अब भी 30-40 फीसदी महंगा है क्योंकि इसकी समकक्ष कंपनियों के स्टॉक इसकी तुलना में इतना नीचे चल रहे हैं। इसे बेचकर सिम्फनी खरीदना कहीं ज्यादा बेहतर है।

यह दुनिया आपको कोई और बनाने की हरचंद कोशिश करती है। ऐसे में किसी दूसरे जैसा नहीं, बल्कि खुद अपने जैसा बने रहना जीवन का कठिनतम संघर्ष है। इस संघर्ष को कभी थमने मत दीजिएगा।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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