एचडीएफसी बैंक धंधे के मामले में देश में निजी क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है। आईसीआईसीआई बैंक इससे ऊपर है। लेकिन बाजार पूंजीकरण में यह उससे भी ऊपर है। एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण इस वक्त 1,02,320 करोड़ रुपए है, वहीं आईसीआईसीआई बैंक का 89,762 करोड़ रुपए। दोनों ही बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में शामिल शेयर हैं। लेकिन जिस तरह अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों की कुदृष्टि हमारे बैंकिंग सेक्टर पर पड़ी है, उसमें हो सकता है कि इनके शेयर और नीचे आ जाएं।
व्यक्तिगत रूप से एक ग्राहक व प्रेक्षक के नाते मुझे आईसीआईसीआई बैंक में सत्व कम और झाग ज्यादा नजर आता है। हालांकि उसके शेयर का पी/ई अनुपात 16.45 है, जबकि एचडीएफसी बैंक के शेयर का 24.41, यानी एचडीएफसी बैंक का शेयर इस वक्त आईसीआईसीआई बैंक से महंगा है और बाजार उसे ज्यादा भाव दे रहा है। । लेकिन शायद आप भी मेरी राय से इत्तेफाक करेंगे कि एचडीएफसी बैंक की सेवाओं और तंत्र में सदाशयता व प्रोफेशनलिज्म है। यह इस वक्त लंबे समय के निवेशकों के लिए अपने स्वामित्व में घुसने का शानदार मौका पेश कर रहा है।
बुधवार, 5 अक्टूबर को एचडीएफसी बैंक का दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 500180) में 2.65 फीसदी गिरकर 438.35 रुपए और एनएसई (कोड – HDFCBANK) में 2.27 फीसदी घटकर 438.70 रुपए पर बंद हुआ है। इसके फ्यूचर्स का भाव इसी के आसपास 440.20 रुपए चल रहा है। एचडीएफसी बैंक अगले के अगले हफ्ते, बुधवार 19 अक्टूबर सितंबर तिमाही के नतीजे घोषित करेगा। अभी जून तिमाही के नतीजों के मिलाकर उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का स्टैंड-एलोन ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 17.96 रुपए है। इस तरह 438.35 के बाजार भाव को टीटीएम ईपीएस से भाग दें तो पता चलता है कि उसका शेयर अभी 24.407 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है।
यह मई 2009 के बाद से एचडीएफसी बैंक के शेयर का सबसे कम पी/ई अनुपात है। असल में अक्टूबर 2008 में लेहमान संकट के उभरने के बाद उस महीने इसका शेयर 21.46 के पी/ई तक गिर गया। मार्च 2009 में सबसे साथ सबसे सस्ता हो गया और 14.19 के पी/ई पर ट्रेड हुआ। मई 2009 में इसका न्यूनतम पी/ई 20.45 था। उसके पूरे दो साल पांच महीने बाद अब जाकर यह इतना सस्ता हुआ है। इस साल 9 फरवरी 2011 को जब यह अपने 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 396 रुपए पर पहुंचा था, तब भी इतना सस्ता नहीं था। तब इसका पी/ई अनुपात 30.59 था। नोट करें कि किसी शेयर का बाजार में बोला जा रहा भाव नहीं, बल्कि उसका उस वक्त का पी/ई अनुपात ही तय करता है कि वो सस्ता है या महंगा।
एचडीएफसी बैंक का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि पिछले तीन सालों में उसकी आय 25.59 फीसदी और शुद्ध लाभ 35.79 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। उसका रिटर्न ऑन इक्विटी एक्सिस बैंक के 19.18 फीसदी से थोड़ा कम और आईसीआईसीआई बैंक के 5.55 फीसदी के बहुत ज्यादा 16.95 फीसदी है। एचडीएफसी बैंक की ब्याज से हुई आय जून 2011 की तिमाही में 35.26 फीसदी बढ़कर 5977.97 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 33.67 फीसदी बढ़कर 1084.98 करोड़ रुपए हो गया।
आप जानते ही हैं कि बैंकिंग के धंधे में ब्याज ही कमाई का असली स्रोत और पैमाना है, जबकि एनपीए या फंसे हुए ऋणों के कम और पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर) के ज्यादा होने से पता चलता है कि उसने अपने जोखिम को कितना अच्छी तरह नांथ रखा है। जून 2011 तक की स्थिति के अनुसार एचडीएफसी बैंक का सीएआर 16.9 फीसदी है, जबकि बेसल-2 का मानक केवल 9 फीसदी का है। इसी तरह उसका सकल एनपीए सारी आस्तियों या कुल वितरित ऋणों का 1.04 फीसदी है। उसने अपने धंधे पर ऐसे डूबत ऋणों का असर खत्म करने के लिए 83 फीसदी प्रावधान कर रखा है, जबकि रिजर्व बैंक का मानक 70 फीसदी का है। उसकी जमा में सबसे सस्ते साधन कासा (चालू व बचत खाता) का योगदान 49.1 फीसदी है।
30 जून 2011 तक की स्थिति के अनुसार देश के 1111 शहरों में बैंक की कुल 2111 शाखाएं और 5998 एटीएम हैं। जाहिर पिछले तीन महीनों में कुछ इजाफा ही हुआ होगा। बैंक की कुल 466.77 करोड़ रुपए की इक्विटी में से 23.3 फीसदी प्रवर्तकों के पास हैं। 17.4 फीसदी डिपॉजिटरी रसीद (एडीएस/जीडीआर) के रूप में हैं और बाकी 59.3 फीसदी पब्लिक के पास हैं। पब्लिक के हिस्से में से 29.23 फीसदी एफआईआई और 11.14 फीसदी डीआईआई के पास हैं। बैंक के कुल शेयरधारकों की संख्या 4,08,862 है। इनमें से 3,99,082 यानी 97.6 फीसदी छोटे निवेशक हैं जिनके पास बैंक के 6.99 फीसदी शेयर हैं। प्रवर्तकों से इतर उसके चार बड़े शेयरधारक हैं – एलआईसी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ, यूरोपैसिफिक ग्रोथ फंड और ग्रोथ फंड ऑफ अमेरिका जिनके पास बैंक के कुल 12.63 फीसदी है।
इन सारे तथ्यों के बाद एक ऐसा तथ्य जो बाहर से दिखता नहीं, लेकिन एचडीएफसी बैंक की रगरग में बहता है। वह है कि उसका नेतृत्व। उसके प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी। खांटी जमीन से जुड़े इंसान, लेकिन बैंक का स्टाफ जिन्हें अपना भगवान मानता है। नेतृत्व की ऐसी स्वीकृति निचले स्तर पर बड़ी मुश्किल से देखने को मिलती है। वैसे, आदित्य पुरी से जो भी व्यक्तिगत रूप से मिलकर बातचीत कर लेगा, वह उनके भदेसपन व प्रोफेशनलिज्म का कायल हुए बिना नहीं रह सकता।
हां, यह शेयर यहां से कितना बढ़ सकता है, इसके बारे में कुछ ब्रोकरेज हाउस 615 रुपए तक का अनुमान व्यक्त कर चुके हैं, यानी यहां से करीब 40 फीसदी बढ़त की गुंजाइश। लेकिन हम 20 फीसदी की गुंजाइश मानकर चलते हैं और बहुत मुमकिल है कि यह शेयर एक साल में 525 रुपए तक चला जाए। वैसे पिछले एक साल में यह ऊपर 519.50 रुपए तक ही गया है जो पिछले पांच सालों का इसका उच्चतम स्तर है। बढ़ने की गुंजाइश हमने बता दी। लेकिन गिर कितना सकता है, इसकी गणना के बाद ही निवेश कीजिएगा क्योंकि दुनिया के सारे समझदार निवेशक ऐसा ही करते हैं। और, आप दुनिया से न्यारे तो हो नहीं!!!