थाईलैंड का शेयर बाजार 8 फीसदी लुढ़क गया। यह दिखाता है कि एशिया में किस कदर घबराहट फैली हुई है। लेकिन भारत में कमजोर रोलओवर के कारण एक बार फिर थोड़ा सुधार होता दिखा। इस बीच वायदा कारोबार में चांदी गिरकर 47,000 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंची जो हमारे 49,000 रुपए के अनुमान से भी नीचे है। लेकिन कैश बाजार में 3000 रुपए का प्रीमियम है जिससे हाजिर चांदी 50,000 रुपए के भाव में मिल रही है।
हमने इस स्तरों से 45,000 रुपए तक चांदी में डिलीवरी आधारित खरीद की सलाह दी है क्योंकि एमसीएक्स में चांदी 40,000 रुपए तक जा सकती है जहां से अंतिम काउंट डाउन शुरू होगा। चांदी वहां से अपनी तलहटी पकड़ लेगी जिसके बाद चांदी में तेजी का नया दौर शुरू होगा। हम चांदी में 74,000 रुपए के भाव से ही एकतरफा बिक्री की सलाह देते रहे हैं। हमारा 49,000 रुपए का पहला लक्ष्य हासिल हो चुका है। सोने में भी 25,500 रुपए प्रति दस ग्राम का हमारा पहला लक्ष्य हासिल हो चुका है। कोई चाहे तो इसमें सट्टेबाजी के लिए डिलीवरी आधारित खरीद कर सकता है। लेकिन उसे फिलहाल इसके गिरकर 23,500 रुपए तक पहुंचने का इंतजार करना चाहिए।
चांदी और सोने पर की गई चोट का निशाना ज्वैलर या सराफा दुकानदार हैं क्योंकि वे दीवाली सीजन की बात सोचकर चांदी व सोने दोनों में ही लांग हो गए थे। दिक्कत यह है कि सोने-चांदी में निवेशक नहीं, बल्कि आम भारतीयों ने बढ़ने की उम्मीद में खरीद कर रखी है। इसलिए इसके गिरने की मार इक्विटी से कहीं ज्यादा होगी।
धमक का शिकार होने की सूची में अगला नाम रीयल्टी का है। रीयल्टी कंपनियां कैश बाजार से 4 से 5 फीसदी प्रति माह के ब्याज पर उधार ले रही हैं जिसे संभाल पाना उनके बूते के बाहर है। दरअसल, इक्विटी व चांदी से तो आप थोड़ा-थोड़ा करके बाहर निकल सकते हो। लेकिन रीयल्टी से इस तरह थोड़ा-थोड़ा करके नहीं निकला जा सकता।
मैं 26 बिल्डरों से मिला और उन्होंने मुझे बताया कि वे अपनी बड़ी प्रॉपर्टी बेच नहीं पा रहे हैं। वे ग्राहकों को बेचकर अपना बोझ हल्का करने के लिए एफएसआई (फ्लोर स्पेस इंडेक्स) से लेकर वर्गफुट क्षेत्रफल तक में हेराफेरी करने की सारी तिकड़म भिड़ा चुके हैं। लेकिन प्रॉपर्टी बिक ही नहीं रही। मुंबई में रीयल्टी के मूल्य में 30 फीसदी की तगड़ी गिरावट का अंदेशा है। आयकर विभाग रीयल्टी के हर बड़े सौदें पर नजर रखे हुए है। यहां तक कि आयकर विभाग की ऑनलाइन रिपोर्टिंग के चलते राजनेता भी कोई नया निवेश करने में डर रहे हैं।
इधर छोटे शहरों में रीयल्टी की ललक कई गुना बढ़ गई थी क्योंकि वहां पिछले पांच सालों में दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। लेकिन अब बढ़ना थम गया है तो लोग निकलने की राह खोजने लगे हैं। लेकिन उन्हीं उसी तरह मजबूरी के दाम मिलेंगे जैसा इस समय इक्विटी व चांदी में हो रहा है।
सोने-चांदी और रीयल्टी के धराशाई होने के बाद निवेश का धन वापस इक्विटी में आएगा। मुझे आशा है कि एनएसई को सद्बुद्धि आएगी और वह स्टॉक डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट शुरू कर देगा। ऐसा होने पर कैश से ढेर पर बैठे अमीर लोग फिर से इक्विटी फाइनेंसिंग में उतरेंगे। इस काम पर अभी तक एनबीएफसी का एकाधिकार बना हुआ है।
रोलओवर का सिलसिला शुरू हो चुका है। निवेशकों को मेरी सलाह है कि निफ्टी 4300 तक भी गिर जाए तब भी उन्हें बगैर कोई परवाह किए इस मौके का फायदा उठाने से नहीं चूकना चाहिए। इस विश्वास के साथ खरीदें कि निफ्टी को पक्के तौर पर 7000 तक पहुंचना है। बाकी फैसला आप पर है कि आप हवा के रुख के साथ बहते हैं या अपना रास्ता खुद बनाते हैं। इंट्रा डे में निफ्टी ने आज 4748.85 से लेकर 4879.80 तक का चक्कर लगाया और 0.66 फीसदी की गिरावट के साथ 4835.40 पर बंद हुआ।
मुक्त समाज से मेरा अभिप्राय उस समाज से है जहां अलोकप्रिय होने के बावजूद आप पूरी तरह महफूज़ रहते हैं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का पेड-कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)